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________________ का असद् व्यवहार। पिता दुःखी था। वे गण से अलग होकर अन्यत्र जा रहे थे। विश्राम करने के लिए एक वृक्ष के नीचे ठहरे। अपनी दुर्दशा पर पिता की आंखों में आंसू आ गए। पुत्र ने देखा कि पिता की आंखें सजल हैं और उनमें से तीव्र वेदना बाहर झांक रही है। पुत्र का हृदय बदल गया। उसने सोचा-मेरे कारण ही इतना तिरस्कार झेलना पड़ा। पुत्र के मन पर भारी असर हुआ। उसका सारा व्यवहार बदल गया। वे पूर्ववर्ती संघ में गए। आचार्य से निवेदन कर पुनः संघ में सम्मिलित हो गए। अब संघ के सारे सदस्य पिता-पुत्र के व्यवहार से प्रसन्न थे। ___आदमी बदल सकता है, बदलता है। बदलने में अनेक कारण बनते हैं। परिस्थिति भी उन कारणों में एक है। बदलने का एक कारण चिंतन भी है, अध्ययन भी है और उपदेश भी है। आदमी एक बात को सुनकर इतना प्रभावित हो जाता है कि उसका व्यवहार बदल जाता है। कोई एक बात इतनी चुभ जाती है कि उसका पूरा व्यक्तित्व ही बदल जाता है। बदलने का सबसे अधिक शक्तिशाली माध्यम है-हृदय-परिवर्तन, अन्तःकरण का परिवर्तन या रासायनिक परिवर्तन। हृदय के परिवर्तन का अर्थ है-रसायनों का परिवर्तन। शरीर में पैदा होने वाले रसायनों की संख्या सैकड़ों में है। वे सारे रसायन विभिन्न प्रकार से व्यक्ति को प्रभावित करतें हैं। उन रसायनों का बदल जाना ही वास्तव में व्यक्ति का बदल जाना है। आज के मनोवैज्ञानिक रासायनिक परिवर्तनों पर अनेक प्रयोग कर रहे हैं। रसायन के बदलने से शेर खरगोश का-सा व्यवहार करने लग जाता है और खरगोश शेर का व्यवहार करने लग जाता है। व्यवहार की दृष्टि से बिल्ली चूहा बन जाती है और चूहा बिल्ली बन जाता है। चिन्तन का प्रकार बदल जाता है। आचार-व्यवहार बदल जाता है। मैं खोज रहा हूं कि ऐसा कोई सूत्र मिल जाए जिससे आदमी की लोभ की वृत्ति में परिवर्तन आए और दहेज-प्रथा समाप्त हो जाए। यह परिवर्तन एक में नहीं, सब में हो जाए। ऐसा होने पर समाज का कायाकल्प हो जाता है। रसायनों के परिवर्तन से क्रोध की आदत बदली जा सकती है, कामवासना की वृत्ति में परिवर्तन आ सकता है। इन सबके सूत्र ज्ञात हुए हैं, हो रहे हैं, परन्तु अभी तक लोभ की वृत्ति को बदलने परिवर्तन का सूत्र 165
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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