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________________ ऐसी व्यवस्था नहीं होती कि अमुक को जल्दी मरना है, अमुक को भूखे मरना है, अमुक को बीमारियां भुगतनी हैं। कर्म का विपाक होता है देश, काल और परिस्थिति के अनुसार। इसे और स्पष्टता से समझें। सर्दी में एक प्रकार की बीमारी होती है, गर्मी में दूसरे प्रकार की बीमारी होती है और वर्षा ऋतु में तीसरे प्रकार की बीमारी होती है। गर्मी में लू लगती है, सर्दी में लू नहीं लगती। कर्मवाद कहां चला गया? इसका उत्तर है कि ये सब विपाक हैं देश-काल-सापेक्ष। ये सब परिस्थिति से जुड़े हुए हैं। मनुष्य में जितना अज्ञान होता है, उतनी ही बीमारियों को वह भुगतता है, बुराइयों को पालता है, बुराइयों के साथ जीता है। उसे जब समर्थ-सूत्र मिलता है तब ये सारी बुराइयां छूट जाती हैं। ____ सम्राट हेनरी चतुर्थ अनुभवी शासक था। उसने देखा कि इंग्लैंड के लोग जवाहरात और सोने का उपयोग बहुलता से करते हैं। उसे वह अच्छा नहीं लगा। आर्थिक स्थिति पर भी इसका प्रभाव उसे परिलक्षित हुआ। उसने कानून बनाया कि कोई भी व्यक्ति हीरे और स्वर्ण के आभूषण नहीं पहनेगा। कानून बन गया। लोगों ने कानून का हृदय से पालन नहीं किया। गहनों का प्रचलन चालू रहा। हेनरी के पास रिपोर्ट पहुंची। उसने सोचा और कानून में एक पंक्ति और जोड़ दी-'आज से सिर्फ वेश्याएं और जेबकतरे हीरे और सोने के आभूषण पहन सकेंगे, और कोई गहने नहीं पहन सकेगा।' इस कानून का चमत्कार हुआ। दूसरे दिन सारे गहने उतर गए, क्योंकि कोई भी व्यक्ति वेश्या या जेबकतरा बनना नहीं चाहता था। ___ यह परिवर्तन कर्मवाद के आधार पर नहीं हुआ। यह हुआ समर्थ-सूत्र / के आधार पर। यह हुआ व्यक्ति की सूझ-बूझ के आधार पर। आज वैज्ञानिक युग है। आज का व्यक्ति चाहता है कि वैज्ञानिक मनोवृत्ति का विकास हो। प्रत्येक व्यक्ति हर बात को वैज्ञानिक दृष्टि से देख सके, परख सके। यह सद्यस्क अपेक्षा है। पर आज भी आदमी इतना रूढ और अज्ञानभरी धारणाओं से घिरा हआ है कि उसे देखकर आश्चर्य होता है। आज दहेज की प्रथा चल रही है और महिलाएं स्वयं उसे बढ़ावा दे रही हैं। आश्चर्य तो यह होता है कि स्त्री की अवज्ञा परिवर्तन का सूत्र 163
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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