________________ जो उपाय को जानता है और उसके प्रयोग में कुशल होता है। उपाय को जानना ही पर्याप्त नहीं माना जा सकता। उसका प्रयोग हीं वांछित फल ला सकता है। आज के दार्शनिक की यही हालत है कि वे दर्शन को जानते हैं, पर उनका प्रायोगिक पक्ष अत्यन्त दुर्बल है। इसीलिए आज के दार्शनिक क्षेत्र में एप्लाइड फिलॉसफी की शाखा का विकास हुआ है। वह दर्शन ज्यादा उपयोगी होता है जिसमें प्रयोग की बात अधिक होती है। केवल सिद्धांत की चर्चा उतनी कार्यकर नहीं होती, व्यावहारिक नहीं होती। दर्शन वह होता है जो जिया जा सके, जीवन में उतारा जा सके, वर्तमान में उसका प्रयोग हो सके। वह दर्शन किस काम का जो मरने के बाद काम आए। वैसा दर्शन हमें अधिक प्रभावित नहीं कर सकता। वही दर्शन हमें प्रभावित कर सकता है जो जीते-जी हमारे काम आता है। ___ अपाय को निरस्त करने के लिए तीन बातें आवश्यक हैं-उपाय की खोज, उपाय की पूरी जानकारी, उपाय को प्रयुक्त करने की कुशलता। ____ अपाय को मिटाने के अनेक उपाय हैं। उनमें एक है-वर्तमान की पकड़। अतीत से मुक्त होने का एक उपाय है-वर्तमान की पकड़। हम वर्तमान को जितना पकड़ पाएंगे, अतीत के प्रभावों से उतने ही मुक्त होते चले जाएंगे। अतीत की काली छाया हर व्यक्ति पर है। जैसे शरीर की छाया हमारे साथ-साथ चलती है, वैसे ही अतीत की छाया भी हमारे साथ-साथ चल रही है। हम शरीर की छाया को देख पाते हैं पर अतीत की छाया को नहीं देख पाते। फिर भी वह हमारे साथ निरंतर बनी रहती है। उस छाया से मुक्त होने का एकमात्र उपाय है वर्तमान की पकड़। वर्तमान पर आज के आदमी की पकड़ नहीं है। आदमी वर्तमान में जीता है, श्वास लेता है, वर्तमान में रहता है, हर काम वर्तमान में करता है. फिर भी वास्तव में वह वर्तमान में नहीं जीता। वह वर्तमान में जीना जानता ही नहीं। जो व्यक्ति प्रमत्त होता है, वह वर्तमान में नहीं जीता। जो व्यक्ति अप्रमाद में रहता है, जागरूक रहता है, वही वर्तमान में जीता है। आप अपने जीवन का लेखा-जोखा करें। कम-से-कम 152 कर्मवाद