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________________ - स धाटत हाता ह। वस्तु का जसा स्वभाव होता है वैसा ही परिणाम होता है। प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति का अपना स्वभाव होता है। अग्नि का अपना स्वभाव है और पानी का अपना स्वभाव है। स्त्री का अपना स्वभाव है और पुरुष का अपना स्वभाव है। स्वभाव के अनुसार सारा परिवर्तन होता है, घटनाएं घटित होती हैं। कुत्ते का स्वभाव है भौंकना। कुत्ता चाहे फिर बालोतरा का हो, दिल्ली का हो या मास्को और न्यूयार्क का हो। स्वभाव व्यापक होता है। चींटी का अपना स्वभाव होता है तो मक्खी का अपना स्वभाव होता है। यह स्वभाव है, इसे सिखाया नहीं जाता। सर्वत्र इसमें एकरूपता मिलती है। इसलिए प्रत्येक घटना के लिए उत्तरदायी है स्वभाव। यह स्वभाववादी की धारणा है। कुछ दार्शनिक मानते हैं कि व्यक्ति कुछ नहीं करता। वह अत्यन्त असहाय है। उसका अपना कुछ भी स्वतन्त्र कर्तृत्व नहीं है। जो कुछ होता है, वह सब नियति के अधीन है। नियति का अर्थ ठीक से नहीं समझा गया। लोग इसका अर्थ भवितव्यता करते हैं। जो जैसा होना होता है, वह वैसा हो जाएगा-यह है भवितव्यता की धारणा, नियति की धारणा। नियति का यह अर्थ गलत है। इसी आधार पर कहा गया-'भवितव्यं भवत्येव गजमुक्तकपित्थवत्-जैसा होना होता है वैसा ही घटित होता है। हाथी कपित्थ का फल खाता है और वह पूरा-का-पूरा फल मलद्वार से निकल जाता है, क्योंकि भवितव्यता ही ऐसी है। नारियल के वृक्ष की जड़ों में पानी सींचा जाता है और वह ऊपर नारियल के फल में चला जाता है। यह भवितव्यता है। यह नियतिवाद माना जाता है। पर ऐसा नहीं है। नियति का अर्थ ही दूसरा है। नियति का वास्तविक अर्थ है-जागतिक नियम, सार्वभौम नियम, यूनिवर्सल लॉ। इसमें कोई अपवाद नहीं होता। वह सब पर समान रूप से लागू होता है। वह चेतन और अचेतन-सब पर लागू होता है। उसमें अपवाद की कोई गुंजाइश नहीं होती। नियम सबके लिए होता है। सम्राट् बिम्बसार के समय में ऐसी कोई घटना घटी कि नगर के अनेक घरों में अचानक अग्नि लग जाती। सभी परेशान थे। सम्राट् ने यह घोषणा करवायी कि जिसके घर में आग उत्तरदायी कौन? 147
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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