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________________ जलचर RESTHESE जीव विचार प्रकरण ENTREPRENER पंचेन्द्रिय तिर्यंच के तीन भेद होते हैं- जलचर, स्थलचर और खेचर / इसमें भी स्थलचर के तीन प्रकार होते हैं- चतुष्पद, उरपरिसर्प एवं भुजपरिसर्प / इस प्रकार जलचर, चतुष्पद, उरपरिसर्प, भुजपरिसर्प और खेचर, इन पांचों के गर्भज एवं समूर्छिम की अपेक्षा से 10 भेद होते हैं। ये दस भेद पर्याप्ता और अपर्याप्ता की अपेक्षा से 20 भेद होते हैं। एकेन्द्रिय के 22, विकलेन्द्रिय के 6 एवं पंचेन्द्रिय तिर्यंच के 20, इस प्रकार तिर्यंच के कुल 48 भेद होते हैं। पंचेन्द्रिय तिर्यंच प्राणियों के 20 भेद जलचर गर्भज पर्याप्ता गर्भज अपर्याप्ता जलचर संमूर्छिम पर्याप्ता जलचर संमूर्छिम अपर्याप्ता चतुष्पद गर्भज चतुष्पद , गर्भज अपर्याप्ता चतुष्पद संमूर्छिम पर्याप्ता 8) . चतुष्पद संमूर्छिम अपर्याप्ता उरपरिसर्प गर्भज पर्याप्ता 10) उरपरिसर्प गर्भज अपर्याप्ता उरपरिसर्प संमूर्छिम पर्याप्ता 12) उरपरिसर्प संमूर्छिम अपर्याप्ता .13) भुजपरिसर्प गर्भज पर्याप्ता भुजपरिसर्प गर्भज अपर्याप्ता भुजपरिसर्प संमूर्छिम 16) भुजपरिसर्प संमूर्छिम अपर्याप्ता 17) खेचर गर्भज 18) खेचर गर्भज अपर्याप्ता पयाप्ता 11) पर्याप्ता पर्याप्ता
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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