________________ HTTER जीव विचार प्रकरण WARRIOR संमूर्छिम एवं गर्भज पंचेन्द्रिय तिथंच तथा मनुष्य गाथा सव्वे जल थल खयरा, समुच्छिमा गम्भया दुहा हुंति / कम्माकम्मग भूमि, अंतरदीवा मणुस्सा य // 23 // अन्वय सव्वे जल थल खयरा समुच्छिमा गब्भया दुहा हुंति कम्माकम्मग भूमिं य अंतरदीवा मणुस्सा // 23 // संस्कृत छाया सर्वे जल स्थल खेचराः संमुर्छिमा गर्भजा द्विविधा भवन्ति। __ कर्माकर्मभूमिजा अन्तर्दीपा मनुष्याश्च / / 23 / / शब्दार्थ सव्वे - समस्त जल - जलचर थल - स्थलचर खयरा - खेचरा समुच्छिमा - संमूर्छिम गब्भया - गर्भज दुहा - दो (प्रकार के) हुन्ति - होते हैं कम्माकम्मगभूमि - कर्मभूमिज- अन्तरदीम - अन्तीपज अकर्मभूमिज मणुस्सा - मनुष्य य- और भावार्थ समस्त जलचर, स्थलचर, खेचर तथा कर्मभूमि, अकर्मभूमि एवं अन्तद्वीप में उत्पन्न हुए मनुष्य संमूर्छिम और गर्भज रुप दो प्रकार के होते हैं // 23 // विशेष विवेचन प्रस्तुत गाथा में पंचेन्द्रिय तिर्यंच एवं मनुष्य के भेद बताये गये हैं।