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________________ SPEETHERE जीव विचार प्रश्नोत्तरी उ. चार लाख। 545) देवों की चार लाख योनियाँ किस प्रकार होती हैं ? उ. मूल रूप से 200 प्रकार के देव माने गये हैं। उन्हें 2000 उत्पत्ति स्थानों से गुणा करने से चार लाख योनियाँ होती हैं। 546) देवों से देवियाँ कितनी ज्यादा हैं ? उ. देवों से देवियाँ 32 गुणा अधिक, उपर बत्तीस अधिक हैं। 547) देवों में कितने शरीर पाये जाते हैं ? उ. तीन शरीर- 1) वैक्रिय 2) तैजस 3) कार्मण / 548) कौन-कौनसे देव उत्तर वैक्रिय शरीर बनाते हैं ? उ. नवग्रैवेयक और अनुत्तर वैमानिक उत्तर वैक्रिय शरीर की निर्माण शक्ति से संपन्न होने पर भी उत्तर वैक्रिय शरीर नहीं बनाते हैं। शेष सभी देव कारण होने पर उत्तर वैक्रिय शरीर बनाते हैं। 549) देवों के उत्तर वैक्रिय शरीर की अवगाहना कितनी होती है ? उ. जघन्य से अंगुल का संख्यातवां भाग और उत्कृष्ट रूप से एक लाख योजन की अवगाहना देवों के उत्तर वैक्रिय शरीर की होती है। 550) देवों के उत्तर वैक्रिय शरीर का कितना काल होता है ? उ. उत्कृष्ट पन्द्रह दिन और जघन्य अन्तर्मुहूर्त / 551) देवलोक में कितने वेद पाये जाते हैं ? उ. पुरूष वेद एवं स्त्री वेद / 552) किस देवलोक से निकला जीव तीर्थंकर पद को प्राप्त कर सकता है ? उ. सौधर्म देवलोक से अनुत्तर वैमानिक देवलोक से निकला जीव तीर्थंकर पद को प्राप्त कर बन सकता है परन्तु तीन किल्बिषिक का देव तीर्थंकर नहीं बन सकता है। 553) किस देवलोक से निकला जीव चक्रवर्ती बन सकता हैं? उ. भवनपति, व्यंतर, ज्योतिष्क एवं वैमानिक इन चारों निकायों से निकला जीव चक्रवर्ती ___ बन सकता है परन्तु पन्द्रह परमाधामी एवं तीन किल्बिषिक का देव चक्रवर्ती नहीं बन
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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