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________________ SHREYSIOTHER जीव विचार प्रश्नोत्तरी N R N 7) सहस्रार देवलोक 3 माह 10 दिवस 8) आणत देवलोक 10 मास 9) प्राणत देवलोक 11 मास 10) आरण-अच्युत देवलोक 100 वर्ष 11) प्रथम तीन ग्रैवेयक। हजार वर्ष 12) मध्यवर्ती तीन ग्रैवेयक एक लाख वर्ष 13) अन्तिम तीन ग्रैवेयक एक करोड वर्ष 14) चार अनुत्तर विमान पल्योपम का अंसख्यातवां भाग - 15) सर्वार्थसिद्ध विमान - पल्योपम का संख्यातवां भाग 521) जिननाम बंध वाला जीव किन-२ देवलोकों में जा सकता है ? उ. परमाधामी, भवनपति, व्यंतर, वाणव्यंतर, तिर्यग्नुंभक, ज्योतिष्क देवलोक में जिननाम वाला जीव नहीं जा सकता है। वह बारह वैमानिक देवलोक, नवलोकान्तिक, नवग्रैवेयक, अनुत्तर विमान में ही जाता है। 522) देवों में कितने गुणठाणे होते हैं ? उ. परमाधामी देवों में पहला गुणठाणा ही पाया जाता है। अनुत्तर वैमानिक देवों के मात्र चौथा अविरत सम्यग्दृष्टि गुणठाणा ही होता है। भवनपति, व्यंतर, वाणव्यंतर, तिर्यग्नुंभक्, किल्बिषिक, बारह वैमानिक, नवलोकान्तिक, नव ग्रैवेयक देवों में प्रथम से चतुर्थ तक कोई भी गुणठाणा हो सकता है। 523) देवों के कौनसा चारित्र हो सकता है ? उ. देव कभी भी व्रत-नियम-पच्चक्खाण नहीं ले सकते, अत: वे आजीवन अचारित्र___ अव्रत का ही जीवन जीते हैं। 524) देवों में कौनसे सम्यक्त्व होते हैं ? उ. देवताओं में क्षायिक, औपशमिक, क्षायोपशमिक एवं सास्वादन सम्यक्त्व हो सकता है। परमाधामी देव सम्यक्त्व रहित होते हैं। भवनपति, किल्बिषिक, व्यंतर, वाणव्यंतर, ज्योतिष्क, तिर्यग्नुंभक देवों में औपशमिक, क्षायोपशमिक, और
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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