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________________ RRRRRRRR जीव विचार प्रश्नोत्तरी NEERABAR है। इस कारण वे 7 वें भव के बाद 8 वां भव देव, तिर्यंच या नारकी का ही करते हैं। 414) मनुष्य गति में कितने प्राण पाये जाते हैं ? उ. मनुष्य गति में दसों प्राण पाये जाते हैं। संमूर्छिम मनुष्यों में वचन बल एवं मन बल के अतिरिक्त आठ प्राण पाये जाते हैं। गर्भज अपर्याप्ता मनुष्यों में मन बल रहित नव प्राण पाये जाते हैं / गर्भज पर्याप्ता मनुष्य दस प्राण धारक होते हैं। 415) मनुष्य गति में कितनी योनियाँ पायी जाती हैं? उ. चौदह लाख योनियाँ। 416) मनुष्यों में चौदह लाख योनियाँ किस प्रकार होती हैं ? उ. मनुष्यों के 700 प्रकार हैं जिन्हें 2000 उत्पत्ति स्थानों से गुणित करने पर चौदह लाख योनियाँ होती हैं। 417) मनुष्यों का आयुष्य कितना होता है ? उ. 1) संमूर्छिम अपर्याप्ता मनुष्यों का जघन्य एवं उत्कृष्ट आयुष्य अन्तर्मुहूर्त का होता 2) गर्भज अपर्याप्ता मनुष्यों का जघन्य एवं उत्कृष्ट आयुष्य अन्तर्मुहूर्त का होता है। 3) पांच हिमवन्त एवं पांच हैरण्यवंत के गर्भज पर्याप्ता मनुष्यों का जघन्य अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्ट एक पल्योपम का आयुष्य होता है। 4) पांच हरिवर्ष एवं पांच रम्यक् के गर्भज पर्याप्ता मनुष्यों का जघन्य अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्ट दो पल्योपम का आयुष्य होता है। . 5) पांच देवकुरू एवं पांच उत्तरकुरू के गर्भज पर्याप्ता मनुष्यों का जघन्य अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्ट तीन पल्योपम का आयुष्य होता है। 6) छप्पन्न अन्तर्वीप के गर्भज पर्याप्ता मनुष्यों का जघन्य अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग जितना आयुष्य होता है। 7) पांच महाविदेह के गर्भज पर्याप्ता मनुष्यों का जघन्य अन्तर्मुहूर्त तथा उत्कृष्ट पूर्व करोड वर्ष का आयुष्य होता है। 8) भरत-ऐरावत के गर्भज पर्याप्ता मनुष्यों की अवसर्पिणी काल में आयु
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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