SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ STERTAIT जीव विचार प्रश्नोत्तरी HER B उ. कर्मभूमिज मनुष्यों में सात समुद्घात पाये जाते हैं। अकर्मभूमिज एवं अन्तीपज मनुष्यों में वेदना, कषाय एवं मरण समुद्घात ही पाये जाते हैं। 409) आदमी से औरत कितने गुणा ज्यादा हैं ? उ. 3 गुणा और उपर 3 ज्यादा हैं। 410) मनुष्य गति में स्वकाय स्थिति कितनी होती है ? उ. मनुष्यों की स्वकायस्थिति सात या आठ भव की होती है। 411) मनुष्य गति में स्वकाय स्थिति सात या आठ भव क्यों कही गयी ? उ. आठवां भव मात्र युगलिक मनुष्यों का ही होता है / जिस गर्भज पंचेन्द्रिय मनुष्य ने सातवें भव में असंख्यात वर्ष का आयुष्य बांधा है, वह मनुष्य ही आठवां भव पंचेन्द्रिय मनुष्य का कर सकता है। यदि असंख्यात वर्ष का आयुष्य नहीं बांधा है तो वह देव, तिर्यंच और नारकी भव करके ही मनुष्य बन सकता है, अन्यथा नहीं। यही बात पंचेन्द्रिय तिर्यंच के संदर्भ में भी जाननी चाहिये। पंचेन्द्रिय तिर्यंच का आठवां भव असंख्यात वर्षायु वाला ही हो सकता है। संख्यात वर्षायु बंध वाला पंचेन्द्रिय तिर्यंच प्राणी बीच में देव, नारकी या मनुष्य का जन्म धारण करके ही पुनः * पंचेन्द्रिय तिर्यंच बन सकता है। 412) पंचेन्द्रिय मनुष्य या तिर्यंच का आठवां भव युगलिक मनुष्य या तिर्यंच का ही क्यों कहा गया ? उ. पंचेन्द्रिय मनुष्य और तिर्यंच की आठवें भव में असंख्यात वर्षायु होनी अनिवार्य है और युगलिक मनुष्यों और तिर्यंचों का ही असंख्यात वर्ष का आयुष्य होता हैं / अन्य किसी का भी नहीं होता है। - 413) खेचर एवं चतुष्पद के अतिरिक्त पंचेन्द्रिय तिर्यंचों का आठवां भव क्यों नहीं कहा गया ? ___ उ. आठवें भव में असंख्यात वर्षायु की अनिवार्य आवश्यकता है जो कि खेचर एवं चतुष्पद युगलिक प्राणियों का ही हो सकता है। खेचर एवं चतुष्पद के अलावा जलचर, उरपरिसर्प एवं भुजपरिसर्प प्राणियों की असंख्यात वर्ष की आयु नहीं होती
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy