SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 209
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SHETRESSES जीव विचार प्रश्नोत्तरी 355) पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों में कितने सम्यक्त्व पाये जाते हैं ? उ. तीन सम्यक्त्व- 1) सास्वादन 2) औपशामिक 3) क्षायोपशमिक। 356) पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों में कौनसा संयम पाया जाता है ? उ. देशविरति। 357) पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों में कितनी दृष्टियाँ पायी जाती हैं ? उ. दो दृष्टियाँ- 1) दीर्घकालिकी 2) दृष्टिवादोपदेशिकी। 358) एक समय में कितने पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीव च्यव (मर) सकते हैं ? - उ. संख्यात अथवा असंख्यात / 359) एक समय में कितने पंचेन्द्रिय जीव उत्पन्न हो सकते हैं ? उ. संख्यात अथवा असंख्यात। . 360) पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों में जन्म और च्यवन विरह काल कितना होता उ. असंज्ञी संमूर्छिम तिर्यंचों का उत्कृष्ट विरहकाल अन्तर्मुहूर्त एवं संज्ञी गर्भज तिर्यंचों का उत्कृष्ट विरह काल बारह मुहूर्त का होता है। दोनों का जघन्य विरह काल एक समय का होता है। 361) पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों की अवगाहना कितनी होती हैं ? उ. पर्याप्ता पंचेन्द्रिय तिर्यंच जघन्य उत्कृष्ट 1) संमूर्छिम जलचर अंगुल का असंख्यातवां भाग एक हजार योजन 2) गर्भज जलचर अंगुल का असंख्यातवां भाग एक हजार योजन 3) संमूर्छिम चतुष्पद अंगुल का असंख्यातवां भाग दो से नौ कोस 4) गर्भज चतुष्पद अंगुल का असंख्यातवां भाग छह कोस 5) संमूर्छिम उरपरिसर्प अंगुल का असंख्यातवां भाग दो से नौ योजन 6) गर्भज उरपरिसर्प अंगुल का असंख्यातवां भाग एक हजार योजन 7) संमूर्छिम भुजपरिसर्प अंगुल का असंख्यातवां भाग दो से नौ धनुष्य 8) गर्भज भुजपरिसर्प अंगुल का असंख्यातवां भाग दो से नौ कोस
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy