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________________ SASTERTIENTIST जीव विचार प्रश्नोत्तरी TEASERIES लाख योनियाँ होती हैं। कुल मिलाकर बावन लाख योनियाँ एकेन्द्रिय जीवों की होती हैं। 176) पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय और वायुकायिक जीवों के सात-सात लाख योनि स्थान किस प्रकार होते हैं ? उ. पृथ्वीकाय आदि चारों के 350-350 प्रकार प्रतिपादित किये गये हैं। उन्हें दो हजार उत्पत्ति स्थानों से गुणित करने पर सात लाख योनियाँ होती हैं। दो हजार उत्पत्ति स्थान निम्नांकित हैं - पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस, आठ स्पर्श, पांच संस्थान 350454245X845= 7 लाख 177) प्रत्येक वनस्पतिकाय और साधारण वनस्पतिकाय की योनियाँ क्रमशः दस लाख और चौदह लाख किस प्रकार होती है? उ. प्रत्येक वनस्पतिकाय के 500 प्रकार कहे गये हैं। उन्हें उपरोक्त 2000 उत्पत्ति स्थानों से गुणित करने पर दस लाख योनियाँ होती हैं। ' साधारण वनस्पतिकाय के 700 प्रकार कहे गये हैं। उन्हें उपरोक्त 2000 उत्पत्ति स्थानों से गुणित करने पर चौदह लाख योनियाँ होती हैं। 178) पृथ्वीकायादि के जीव एक मुहूर्त में कितने भव करते हैं ? उ. पृथ्वीकाय के जीव - 12824 / अप्काय के जीव - 12824 / तेउकाय के जीव - 12824 / वायुकाय के जीव - 12824 / प्रत्येक वनस्पतिकाय के जीव - 32000 / साधारण वनस्पतिकाय के जीव - 65536 /
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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