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________________ 8859980 जीव विचार प्रश्नोत्तरी SITES 170) एकेन्द्रिय जाति के 22 भेदों में से कितने भेद पर्याप्ता एवं अपर्याप्ता एकेन्द्रिय के होते हैं ? उ. 11 भेद पर्याप्ता के एवं 11 भेद अपर्याप्ता के होते हैं। 171) एकेन्द्रिय जाति के 22 भेदों में से कितने भेद सूक्ष्म-बादर के होते हैं ? उ. 10 भेद सूक्ष्म के एवं 12 भेद बादर के होते हैं। 172) एकेन्द्रिय जाति के 22 भेदों में से संमूर्छिम के कितने भेद होते हैं ? उ. एकेन्द्रिय जीवों का मात्र संमूर्छिम जन्म ही होता हैं। उनका गर्भज जन्म नहीं होने से समस्त 22 भेद संमूर्छिम ही होते हैं। 173) एकेन्द्रिय जाति के जीव किसमें उत्पन्न होते हैं ? (गति) उ. पृथ्वीकायिक, अप्कायिक एवं वनस्पतिकायिक जीव, जीव के 563 भेदों में से 179 भेदों में उत्पन्न होते हैं। वे 101 संमूर्छिम मनुष्यों, 30 कर्मभूमिज गर्भज पर्याप्ताअपर्याप्ता मनुष्यों, 48 तिर्यंचों में उत्पन्न होते हैं / तेउकायिक एवं वायुकायिक जीव मात्र तिर्यंच के 48 भेदों ही उत्पन्न होते हैं। 174) एकेन्द्रिय जाति में कौनसे जीव उत्पन्न होते हैं ? (आगति) उ. बादरं पृथ्वीकाय, अप्काय और वनस्पतिकाय में 563 भेदों में से 243 भेद उत्पन्न -- होते हैं / 243 भेद-१०१ संमूर्छिम मनुष्य, 15 कर्मूभूमिज गर्भज पर्याप्ता मनुष्य और 15 कर्मभूमिज गर्भज अपर्याप्ता मनुष्य, 48 तिर्यंचों के भेद, 10 भवनपतिदेव, 15 परमाधामी देव, 16 वाणव्यंतर देव, 10 तिर्यग्नुंभक देव, 10 ज्योतिष्क, पहलेदूसरे देवलोक के देव, पहला किल्बिषिक (64 देव-पर्याप्ता) उत्पन्न हो सकते हैं। सूक्ष्म एवं बादर तेउकाय और वायुकाय में उपरोक्त 253 भेदों में देवों के उपरोक्त 64 भेद छोडकर शेष 179 भेद उत्पन्न हो सकते हैं / सूक्ष्म पृथ्वी, अप् और वनस्पति की आगति भी तेउकाय-वायुकाय की भाँति जाननी चाहिये। 175) एकेन्द्रिय जीवों की कितनी योनियाँ होती हैं ? उ. पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय और वायुकाय की सात-२ लाख योनियाँ होती हैं। प्रत्येक वनस्पतिकाय एवं साधारण वनस्पतिकाय की क्रमशः दस लाख एवं चौदह
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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