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________________ S TRATION जीव विचार प्रश्नोत्तरी AREER . तिर्यंच एवं गर्भज मनुष्य पर्याप्ता और अपर्याप्ता दोनों होते हैं परन्तु संमूर्छिम मनुष्य नियमतः अपर्याप्ता ही होते हैं। 72) प्राण और पर्याप्ति में क्या अन्तर है? उ. जिस शक्ति से जीव जीता है, उसे प्राण कहते हैं। जिस शक्ति से जीव आहार ग्रहण कर क्रमशः रस, शरीर और इन्द्रिय रुप में परिणत करता है एवं श्वासोच्छवास, भाषा, मन योग्य पुद्गल ग्रहण कर उन्हें उस रूप में परिवर्तित करता है, उसे पर्याप्ति कहते है। 573) संज्ञी और असंज्ञी में क्या अन्तर है? उ. मन वाले जीव को संज्ञी कहते है। मन सहित जीव को असंज्ञी कहते हैं। समूर्छिम] उपपात 3 ds HRA Jain चित्र : जीवोत्पत्ति के प्रकार 74) जीव की उत्पत्ति के प्रमुख कितने भेव हैं ? उ. तीन भेद - 1) गर्भज 2) संमूर्छिम 3) औपपातिक 75) गर्भज जीव किसे कहते हैं? उ. वेजीव, जो माता-पिता (नर एवं नारी) के संयोग से उत्पन्न होते हैं, वे गर्भज कहलाते 76) संमूर्छिम जीव किसे कहते हैं ? उ. वे जीव, जो माता-पिता के संयोग के बिना अन्य बाह्य संयोग प्राप्त होने पर उत्पति स्थान में स्थित औदारिक पुद्गलों को शरीर में परिणत करके उत्पन्न होते हैं, उनका .. संमूर्छिम जीव कहलाता है।
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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