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________________ RETRIENT जीव विचार प्रश्नोत्तरी 057) अपर्याप्ता जीव किसे कहते है ? उ. स्वयोग्य पर्याप्तियाँ पूर्ण करने से पूर्व जीव अपर्याप्ता कहलाता है। जैसे एकेन्द्रिय जीव चार पर्याप्तियाँ पूर्ण करने से पूर्व अपर्याप्ता कहलाता है। *58) पर्याप्ता जीवों के कितने भेद होते हैं ? उ. दो भेद - 1) करण पर्याप्ता 2) लब्धि पर्याप्ता v59) अपर्याप्ता जीवों के कितने भेद होते हैं ? उ. दो भेद - 1) करण अपर्याप्ता 2) लब्धि अपर्याप्ता . V60) करण पर्याप्ता किसे कहते हैं ? . उ. जिस जीव ने स्वयोग्य पर्याप्तियाँ पूर्ण कर ली है, वह करण पर्याप्ता कहलाता है। 561) लब्धि पर्याप्ता किसे कहते हैं ? उ. जिस जीव ने स्वयोग्य पर्याप्तियाँ पूर्ण कर ली है या भविष्य में स्वयोग्य पर्याप्तियाँ अवश्यमेव पूर्ण करेगा, वह लब्धि पर्याप्ता कहलाता है। 5 62) करण अपर्याप्ता किसे कहते हैं ? उ. जिस जीव ने स्वयोग्य पर्याप्तियाँ पूर्ण नहीं की है, वह करण अपर्याप्ता कहलाता है। 5.63) लब्धि अपर्याप्ता किसे कहते हैं ? उ. जिस जीव ने स्वयोग्य पर्याप्तियाँ पूर्ण नहीं की है और पूर्ण करने से पूर्व ही मर जायेगा, ___ उसे लब्धि अपर्याप्ता कहते है। 64) लब्धि पर्याप्ता-अपर्याप्ता एवं करण पर्याप्ता-अपर्याप्ता में पारस्परिक संबंध प्रस्तुत कीजिये ? उ. 1) लब्धि पर्याप्ता जीव स्वपर्याय योग्य पर्याप्तियाँ पूर्ण करने से पूर्व करण अपर्याप्ता कहलाता है और पूर्ण करने के पश्चात् करण पर्याप्ता कहलाता है अत: लब्धि पर्याप्ता जीव में करण पर्याप्ता-करण अपर्याप्ता रूप दोनों भेद घटित होते हैं। 2) लब्धि पर्याप्ता और करण पर्याप्ता भेद एक ही जीव में एक समय में एक साथ घटित होते हैं क्योंकि पर्याप्तियाँ पूर्ण करने के बाद भी जीव लब्धि पर्याप्ता कहलाता है और पर्याप्तियाँ पूर्ण करने के पश्चात् करण पर्याप्ता कहलाता है।
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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