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________________ जीव विचार प्रश्नोत्तरी TITTERIES 6) सूर्य-चन्द की उपमा न देते हुए प्रभु महावीर को दीपक की उपमा क्यों दी गयी? उ. 1) सूर्य दिन में ही उजाला करता है और सूर्यास्त के पश्चात् अंधकार छा जाता है। चंद्रमा शुक्ल पक्ष में चाँदनी बिखेरता है परन्तु कृष्ण पक्ष में तो अमावस का घना अंधेरा होता है जब कि दीपक सदैव-सर्वत्र प्रकाश करता है। उसी प्रकार परमात्मा महावीर दीपक के रूप में केवलज्ञान का आलोक सदा-सर्वदा फैलाते हैं। 2) एक सूर्य या चन्द्र से अन्य पदार्थ प्रकाशित होते हैं पर वे स्वयं सूर्य के समान तेजस्वी एवं चन्द्रमा के समान शीतल नहीं हो सकते जबकि एक दीपक से हजारों दीपक प्रज्ज्वलित होते हैं / उसी प्रकार परमात्मा देशना के द्वारा भव्य जीवों का उद्धार करते हैं, उन्हें भी परमात्म पद पर प्रतिष्ठित कर देते हैं। 3) सूर्य की रोशनी अंधेरी-गहरी गुफा में प्रवेश नहीं कर सकती है जब कि दीपक अंधेरी गुफा में भी प्रकाश करता है। घट-पट सबको दीपक प्रकाशित करता है। उसी प्रकार परमात्मा सूक्ष्म से सूक्ष्म पदार्थ को भी प्रकाशित करते हैं, अर्थात् अपने ज्ञान से जानते हैं। 4) सर्य-चन्द्र सीमित क्षेत्र में ही उजाला प्रदान करते हैं जबकि दहलीज पर रखा हआ दीपक स्वस्थान के साथ भीतरी एवं बाहरी क्षेत्र को भी प्रकाशित करता है। तीर्थंकर प्रभु भी अपने अनन्तज्ञान-दर्शन से त्रिभुवन में प्रकाश करते हैं। वे स्वयं भी आलोक से परिपूर्ण है और दूसरों को भी आलोकित करते हैं। 7) मंगलाचरण कैसे किया गया है ? उ. परमात्मा महावीर को नमन करके मंगलाचरण किया गया है। 8) मंगलाचरण करने का क्या प्रयोजन है ? उ. 1) मंगलाचरण करने से ग्रंथकार के, पठन-पाठन करने वालों के विघ्न दूर होते हैं। ग्रन्थ निर्माण में आने वाली समस्याएँ दूर होती हैं एवं ग्रंथ परिपूर्ण बनता है। पढने वालों में विनय की जागृति होती है जिससे वे सुगमता से ग्रंथ का अभ्यास कर लेते हैं। पढाने वालों में प्रज्ञा का विकास होता हैं जिससे सुंदर-सरल पद्धति से समझाने में
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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