________________ गाथा जोइसियतेउलेसा,सेसासवेवि हुंति चउलेसा इंदियदारंसुगम, मणुआणंसत्तसमुग्घाया॥१५|| संस्कृत-अनुवाद ज्योतिष्कास्तेजोलेश्यकाःशेषाःसर्वेऽपि भवन्ति / चतुर्लेश्या : / इन्द्रियद्वारंसुगम, मनुजानांसप्तसमुद्घाताः||१५|| ' अन्वय सहित पदच्छेद जोइसियतेऊलेसा,सेसासव्वेअविचउलेसाहुति। इंदियदारंसुगमं मणुआणंसत्तसमुग्घाया॥१५|| शब्दार्थ :तेउलेसा-तेजोलेश्यावाले इदियदारं-इन्द्रिय द्वार सेसा-शेष, बाकी रहे हुए सुगम-सुगम, सरल अवि-भी समुग्घाया-समुद्घाते गाथार्थ : ज्योतिषी तेजोलेश्यावाले हैं, और शेष सभी चार लेश्यावाले हैं इन्द्रियद्वार सुगम है। मनुष्यों को सात समुद्घात होते हैं। विशेषार्थ : ज्योतिषी देवों को सिर्फ तेजोलेश्या ही होती है दूसरे सभी भवनपति तथा व्यंतर ये ग्यारह दंडको में कितने तो संपूर्ण भवपर्यंत कृष्ण लेश्यावाले, कितने नील लेश्या, कितने देव कापोत लेश्यावाले और कितने तो तेजोलेश्या वाले हैं। पृथ्वीकाय, अप्काय, और वनस्पतिकाय इन तीन दंडक में प्रत्येक जीव को दंडक प्रकरण सार्थ (66) इन्द्रिय और समुद्धात द्वार