________________ संस्कृत अनुवाद. चत्वारिगर्भजतिर्यग्वायुष,मनुष्याणांपञ्च,शेषेषुत्रीणिशरीराणि। स्थावरचतुष्केद्विधा, अइगुलासंख्येयभागतनुः||५|| शब्दार्थ :चउ-चार चउगे-चार भेद में वाउसु-वायुकाय में दुहओ-दो प्रकार से मणुआणं-मनुष्यों को अंगुल-अंगुल का सेस-शेष असंखभाग-असंख्यातवां भाग ति-तीन तणू-शरीर है। अन्वय सहित पदच्छेद गब्अतिरिय-वाउसु-चउ, मणुआणं पंचसेसति-सरीरा . थावरचउगेदुहओ, अंगुल-असंखभाग-तणू||५|| गाथार्थ .. .. .: गर्भज तिर्यंच और वायुकाय के चार, मनुष्यों के पांच और शेष रहे .. उनको तीन शरीर है, चार स्थावर दोनों तरह से अंगुल का असंख्यातवां भाग जितने शरीरवाले होते है। विशेषार्थ 24 दंडको में शरीर 1 पृथ्वीकाय / औदारिक / 1 नरक / वैक्रिय 1 अप्काय 10 भवनपति 1 तेउकाय 1 व्यंतर तैजस 1 वनस्पतिकाय 1 ज्योतिष्क 1 बेइन्द्रिय - कार्मण 1 वैमानिक _ कार्मण दंडक प्रकरण सार्थ (43) शरीर और अवगाहना द्वार