________________ को नपुसंक स्त्री कहा जाता है। शिश्न, दाढी, मूछ होने पर भी स्त्री के जैसे स्वभाव . हो, कमर पर हाथ रखकर लटके से चले इत्यादि स्त्री योग्य बहुत आचार वाला .. वह पुरुष नपुंसक कहा जाता है। इस तरह तीन प्रकार के वेद और तीन-प्रकार के लिंग है। इन दोनों का प्रयोजन इस प्रकरण में है। . (१)२५अल्पबहुत्व .. कौनसे दंडक के जीव कौनसे दंडक के जीव से कम है या ज्यादा है। इसका विचार दर्शानेवाला अल्पबहुत्व कहा जाता है। .. इस तरह चोवीस (24) द्वारों का भावार्थ दर्शाकर अब 24 दंडक पदों में अनुक्रम से 24 द्वार समझने की गाथाओं का प्रारंभ होगा। // 24 दण्डकसे 24 द्वार की घटना॥ १.शरीरद्वार और२अवगाहनाद्वार गाथा चउगब्भतिरियवाउसु, मणुआणंपंचसेस तिसरीरा। थावरचउगेदुहओ, अंगुलअसंखभागतणु||५|| फुटनोट : ___(1) ज्ञानद्वार 12 वां कहा है, इस अज्ञान को उसके अंतर्गत गिने तो अल्पबहुत्व द्वार २४वाँ होता है, लेकिन ग्रंथकर्ता ने ही स्वकृत अवचूरि में अल्पबहुत्व बिना 24 द्वार गिने हैं। और टीकाकार ने भी अल्पबहुत्व बिना 24 द्वार गिने हैं / अल्पबहुत्व का विवेचन तो अंत में दिया है / तो इस तरह 25 द्वार होते हैं। प्रश्न :- ग्रन्थकार और टीकाकार ने अल्पबहुत्व को २५वें द्वार के रूप में क्यों नहीं गिना ? उत्तर :- लघुसंग्रहणी नामक ग्रंथ में से 24 द्वारों के संग्रहवाली दो गाथा इस प्रकरण में ली गई है इस कारण से इस प्रकरण के 24 द्वार ही है तब भी अल्पबहुत्व विशेष द्वार के रूप में कहा गया है इस कारण से २५वां द्वार के रूप में विवेचन में गिना है, लेकिन द्वार संख्या में अल्पबहुत्व की गिनती नहीं है। दंडक प्रकरण सार्थ (42) रारर और अवगाहना द्वार