________________ 3. सुरप्रभ | 8. चंद्र 4. सुलस 9. एरावत 5. विद्युत्प्रभ 10. माल्यवंत इन पांच हृदो को भेदकर सीतोदा नदी | इन पांच हृदों को भेदकर सीता नदी बहती है। इसलिए उनके दो-दो भाग | बहती है। इसलिए उनके दो-दो हो जाते है। भाग होते है। ये दस हृद पद्महद के प्रमाण ही लंबे-चौडे-गहरे और उस-उस नाम के ही देव उसमें रहते हैं। ___ महाविदेह की अंतरनदियां गंगा-सिंधु से भी बडी होने पर वे मुख्य न होने के कारण महानदी में इनकी गिनती नहीं की जाती। इसी प्रकार लघुहृद और पद्महद समान प्रमाणे के होने पर भी महाहृद में नहीं गिने जाते। हृद-द्रह-सरोवर / ये पर्यायवाची शब्द हैं। 10. नदियां गाथा : गंगा सिंधुरता, रत्तवईचउ नईओपत्तेयं। चउदसहिंसहस्सेहिं .समगंवच्चंतिजलहिंमि॥२१॥ संस्कृत अनुवाद गङ्गा सिन्धूरक्तारक्तवतीचतस्त्रोनद्यः प्रत्येकम्। चतुर्दशभिःसहस्त्रैःसमकंव्रजन्तिजलधौ॥२|| अन्वय सहित पदच्छेद गाथावत-परंतुजलहिँभि वच्चंति। . * फूटनोट : छपी हुई किताब में 'समग्ग' पाठ और छपी हुई सटीक प्रत में समगं' पाठ मूल में है। अर्थ भी 'समगं' का ही किया है। इसलिए यहां भी 'समगं' शब्द ठीक संबंधवाला लगने से रखा है। | लघु संग्रहणी सार्थ 167 नदियाँ