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________________ ९.सिद्धायतन तथा प्रासाद का प्रमाण 34 वैताढय के | लंबाई | विस्तार | ऊंचाई 34 सिद्धायतन | 1 गाऊ | || गाऊ | कुछन्यून 1 गाऊ 34 प्रासादो ०॥गाऊ 1 गाऊ शेष 27 पर्वत के | लंबाई | विस्तार | ऊंचाई शेष 27 सिद्धायतन| 50 यो. 25 यो. / 36 यो. . . . शेष 27 प्रासाद | 31 / यो. / 31 / यो. | 62 // यो. दूसरी तरह से गिरिकूटों की संख्या गाथा: चउसत्त अट्ठनवगेगारसकूडेहिंगुणहजहसंखं। सोलसदुदुगुणयालं, दुवेयसगसहिसय चउरो॥१६| संस्कृत अनुवाद चतुःसप्ताष्टनवकैकादशकूटैर्गुणयतयथासंख्यम्। षोडश द्वेद्वे एकोनचत्वारिंशत द्वेचसप्तषष्ट्यधिकानिशतानि चत्वारि॥१६॥ अन्वय सहित पदच्छेद जहसंखंचउसत्त अट्ठनवगएगारसकुडेहिं सोलसदुदुगुणयालंयदुवेचउरोसयसगसहि॥१६|| शब्दार्थ कूडेहिं- शिखरों से गुणयालं- उनचालीस गुणह- गुणाकार करने से सगसट्टी-सडसठ जहसंखं-यथा संख्य सय चउरो-चारसो अनुक्रम से | लघु संग्रहणी सार्थ (156 सिद्धायतन तथा प्रासाद का प्रमाण |
SR No.004273
Book TitleDandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Original Sutra AuthorGajsarmuni, Haribhadrasuri
AuthorAmityashsuri, Surendra C Shah
PublisherAdinath Jain Shwetambar Sangh
Publication Year2006
Total Pages206
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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