SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट-२ कथाएं 1. पद का महत्त्व एक राजा यात्रा के लिए प्रस्थान कर रहा था। राजा ने किसी ग्राम में संदेश भिजवाया कि प्रयाण के समय पड़ाव के लिए राजा के लिए आवास-स्थान बनवाना है। दूत ने जाकर सभी लोगों को इस बात की अवगति दी। जब ग्रामप्रधान को ज्ञात हुआ कि राजा के लिए आवास-स्थल बनाया जाएगा तो उसने लोगों को कहा कि मेरे रहने के लिए भी एक घर बनवा दो। ग्रामवासियों ने चिन्तन किया कि राजा तो एक दिन रहकर चला जाएगा, उसके लिए अधिक धन लगाकर चित्रकर्म से युक्त सुंदर घर बनवाने की क्या उपयोगिता है? एक घास की झोंपड़ी बनवाकर चारों ओर कांटों की मोटी बाड़ लगवा देंगे। ग्राम के ठाकुर से हमारा प्रतिदिन काम का सम्बन्ध रहता है, वह यदि प्रसन्न रहेगा तो अच्छा होगा इसलिए उसके लिए बहुमूल्य चित्रों से युक्त मनोहर चतु:शाल वाला आवास-स्थल बनवाएंगे। यह सुनकर ग्राम-ठाकुर उन पर प्रसन्न हो गया। ग्रामवासियों ने राजा के लिए घास-फूस का सामान्य घर तथा ग्रामभोजक के लिए रमणीय चतुःशाल का निर्माण करवा दिया। प्रयाण करके जब राजा उस गांव में आया तो राजा ने सोचा कि ग्रामवासियों ने मेरे लिए अच्छा घर बनवाया है। यह सोचकर राजा वंदनवार और लटकती मालाओं से सुशोभित उस सचित्र आवास वाले घर में जाने लगा। ग्रामवासियों ने राजा से कहा-"भगवन्! आपके लिए यह आवास नहीं है, यह ठाकुर का आवास-स्थल है। आपके एक दिन के प्रवास हेतु घास की झोंपड़ी बनाई गई है।" यह सुनकर राजा कुपित हो गया। उसने ठाकुर को ग्राम के आधिपत्य . से च्युत कर दिया तथा ग्रामवासियों को भी दंडित किया। 1. आगम 8, ओनिटी प. 46 /
SR No.004272
Book TitleAgam Athuttari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy