________________ SOTOP जिनके कृपा-प्रसाद से विशेषावश्यक की विशाल श्रुत-सम्पदा मेरी प्रज्ञा में प्रकाशित हुई उन प्रज्ञा-पुरुषोत्तम जिनशासन सूर्य, आचार्य कल्प श्रद्धेय गुरुदेव मुनि श्री रामकृष्ण जी महाराज के अदृष्ट पाणि-पल्लवों में समर्पित है मेरा यह अक्षर-श्रम! - आचार्य सुभद्र मुनि