SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * की। 10 वें 'विश्व संस्कृत सम्मेलन' के बंगलौर (कर्नाटक) के अधिवेशन में भी प्राकृत व * जैनविद्या-विभाग के (1997 ई. में) अध्यक्ष रहे। संस्कृत में आशुकविता की क्षमता रखते हुये अनेक कवि गोष्ठियों में सम्मिलित। दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद् तथा दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् आदि के * आजीवन सदस्य। अनेक ख्यातिप्राप्त संस्थाओं द्वारा सम्मानित-पुरस्कृत।व्यास बालाबक्ष शोध संस्थान, जयपुर के सरस्वती-सम्मान (2004) अवार्ड से सम्मानित, दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद्, जयपुर के पं. महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य पुरस्कार (2009 ई.) से सम्मानित, तथा जैन विश्वभारती, लाडनूं के (के.बी. फाउण्डेशन, कोलकाता द्वारा प्रायोजित) (एक लाख रु. के) आ. तुलसी प्राकृत पुरस्कार (2009) * से सम्मानित। अ.भा.प्राच्यविद्या सम्मेलन (करुक्षेत्र, 2008) के प्राकृत व जैनविद्या विभाग में सर्वश्रेष्ठ निबन्ध प्रस्तुति के लिए मुनि पुण्यविजय जी पुरस्कार से पुरस्कृत। भारतीय दर्शनों के तुलनात्मक अनुशीलन, जैन न्याय शास्त्र के तलस्पर्शी अवगाहन तथा प्राकृत भाषा व व्याकरण के अध्ययन-अध्यापन में विशेष रुचि। मौलिक, अनूदित व संपादित कृतियों की दशाधिक संख्या। 75 से अधिक संख्या में शोधपत्र प्रकाशित। *******************[12] *******************
SR No.004270
Book TitleVisheshavashyak Bhashya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Damodar Shastri
PublisherMuni Mayaram Samodhi Prakashan
Publication Year2009
Total Pages520
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy