________________ कथा 182 श्लोकादि खमणापरो य खमणो खुल्लगसमणस्सेहं खुल्लगसाहुदिटुंतं पृष्ठ श्लोकानामकारादिक्रमेण सूचिः श्लोकादि कथा | पृष्ठ / 107 जेणं चिय अण्णभवं ___64 31 101 67 39 णायं चंदवणियस्सेह 82 79 गिम्हकाले हि जे जीवा गिहिणोवि विसुद्धीए 57 56 चंडालि ! मेवं वयाहि चत्तारि पंच जोअणचरित्तं चंदलेहाए चारित्ताराहणोज्जुत्तचित्तं अंतग्गयं दुटुं 68 50 तं चिय जए कयत्थो तवमाहप्पवुत्तंतं तवसंजमगुणरहिया तवो भावेण आइण्णो ता गव्वो ता रसो ता तुंगो मेरुगिरी तित्थयरा य गणहरा तिलोगगयदेवाणं ते धन्ना कयपुन्ना ते धन्ना कयपुन्ना ते विरलञ्चिय धीरा 146 106 83 82 छज्जीवनिकायाणं 109 ज 68 44 10 176 थोवेण नेहदोसेण थोवेण वि निमित्तेणं 78 105 16 द जं असणं उच्छिटुं जइ जिणसासणरयणं जगडुणो इह दिटुंतं जणो अणटुं पावेइ जत्थ य विसयविरागो जयसिरिवंछियसुहए जहसत्तिं तवं कुज्जा जा विज्जा पारंभे जाणित्ता खुलगस्सेह जायम्मि जीवलोए जारिसा पुव्वकालम्मि जिणदासी कुणालाणं जुगाइदेवज्झाणेण 64 100 दइव्वे पडिकूलम्मि 77 दयाजुयजिणञ्चाए दाणं दरिद्दस्स पहुस्स खंती 97 दाणाणमभयदाणं 94 दानसाला जगडूतणी 81 दिटुंतं सूररायस्स दिढयरधम्मो भविओ दिवसे दिवसे लक्खं 63 दुट्ठसीला जया नारी 111 77 - 27 86