________________ 120 पाइअविनाणकहा-२ एयाए ओसप्पिणीए अञ्चंतथावरा एसा पढमसिद्धत्ति साहिऊणं तीए सरीरं देवेहिं खीरसमुद्दे खित्तं / अणेण केई वएइरे-तवसंजमाइविहाणं विणा जह मरुदेवा सिद्धा तहा अम्हे वि मोक्खं गच्छिस्सामोत्ति आलंबणं गिण्हंति, एयालंबणं विवेगिहिं न गेझं, जओ सा अञ्चंतथावरा कयावि अपत्ततसभवा अबद्धतिव्वकम्मा अञ्चंतलहुकम्मा आसि / तओ केवलविसुद्धभावणाए सिद्धा / अणंतजीवेसु मोक्खं गएसु एरिसो जीवो एगुच्चिय वियाणियव्वो / उवएसो मरुदेवाए नायं, संसारासारभावदंसणयं / नया भविया तुम्हे, धरेह चित्ते सया एयं / / 2 / / भावविसुद्धीए सिरिउसहजिणीसरजणणीमरुदेवाए अट्ठाणउइयमी कहा समत्ता / / 98 / / समालाए नवनउइयमी रजलोहेण पुत्ताणं पि विडंबणाविहायगस्स कणयकेउनरिंदस्स कहा - - रज्जे मूढो जीवो, छिंदइ पुत्ताण अंगुवंगाई। इह कणयकेउनरवइ-नियंसणं बोहदाणटुं / / 1 / / तेयलिपुरंमि कणयकेऊ नाम नरवई होत्था / तस्स पउमावई नाम पट्टदेवी आसी / तस्स तेयलिपुत्तनामो मंती, तस्स पोट्टिला नाम पिया अहेसि / सा अईव वल्लहा अस्थि / अह रज्जसुहं भुंजमाणस्स कणयकेउस्स पुत्तो जाओ, तया राया चिंतेइ-इमो पुत्तो वड्ढंतो समाणो मईयं रज्जं गिहिस्सइ त्ति भएण सो तस्स हत्थच्छेयं कासी / कमेण बीओ पुत्तो उप्पण्णो, तस्स पायच्छेयं विहेइ, एयाए रीईए कासई अंगुलिच्छेयं, कस्सइ नक्कच्छेयं, कस्सइ कासइ कण्णच्छेयं नयणच्छेयं च कासी / एवं सव्वे वि पुत्ता तेण खंडियंगा रज्जाहिगाररहिया कया / एवं बहुकालंमि गए पुणो वि पउमावई देवी सुहसुमिणसूइअं गब्भं धरित्था / तइया मंतिभज्जाए पोट्टिलाए वि गब्भो धरिओ / तइया मंतिं आगारिऊणं पउमावईदेवीए साहियं-'मए सुहसुमिणसूइओ गब्भो धरिओ अत्थि, अओ जम्मसमए सो भवया पच्छन्नभावेण पालणीओ, जहा सो रज्जाहिगारी होज्जा / भवओ वि सो सहेज्जगरो होहिइ' त्ति सुणिऊण तीए वयणं मंतिणा पडिवन्नं / समए देवीए पुत्तो जाओ / पच्छन्नवित्तीए मंतिणा सो नियमज्जापोट्टिलाए समप्पिओ / तयवसरे पोट्टिलापसूया पुत्ती पउमावईए देवीए समप्पिआ / पच्छा दासीए निवस्स पुत्तीजम्मसरूवं वियाणावियं /