________________ एगासीइमी अणुकंपापयाणम्मि जगडूसाहुणो कहा अणुकंपापयाणेण, रेहइ धम्मिअत्तणं / जगडुस्सेह दिटुंतो, दुब्भिक्खे दाणदाइणो / / 1 / / इह भरहखेत्तम्मि गुजरदेसविहूसणमहाविसालसिरिमहावीरसामिचेइयरेहमाणभद्देसरक्खे नयरम्मि भाडलभूवो रज्जं कासी / सो य पट्टण-नरवइवीसलरायस्स सेवं विहेइ / तहिं नयरम्मि सालगसेट्ठिणो सिरिदेवी भज्जा, पुत्ता य जगडू-पउम-रायमल्ल नामा होत्था / जगडूसाहू समुद्दतडम्मि हट्ट कासी / एगया जगडूपासम्मि जाणपत्तेहिं 'थेण्णकारगा कई पुरिसा समागया / तेहिं वुत्तं अम्हाणं एगं जाणं मयणभरियं चडियमत्थि, जइ भवओ रोएइ तया धणं दाऊणं गहणीयं / जगडू तत्थ गओ, मुल्लं च किच्चा मयणभरियं जाणपत्तं गहियं सयडाइं भरिऊणं जगडू गेहे समेओ, जगडूकम्मयरा जगडूपत्तीए पुरओ वयासीजगडूसाहुणा मयणं गहीयं, कहिं उत्तारिज्जइ / जगडूपत्ती आह-अम्हाणं गेहे मयणं पावनिबंधणं गणिज्जइ, तेण नोत्तारिज्जइ / तओ मयणिट्टिगाओ गिहंगणम्मि लिंबरुक्खस्स हेट्ठम्मि उत्तारिआओ / जगडू पियाए सद्धि कलहं कासी, हक्किया सा वएइ-मयणवावारम्मि बहुपावं लग्गइ / तओ मियं कलिं काऊणं रुट्ठा / जगडू पियाए सद्धि न जंपेइ / पत्ती वि जगडुं न वएइ / / एवं मासत्तए संजाए सीयालो' समागओ / जगडूपुत्तेण तावणटुं वन्ही पयडीकओ, तम्मि तिणाईणि खिवइ / इओ य बालचवलत्तणेण एगा मयणिट्टिगा अग्गिम्मि पुत्तेण 'छूढा / मयणं गलियं, तहिं च सुवण्णिट्टिगा पत्तीए दिट्ठा / पत्ती अवयंती वि धणलोहाओ जगईं पइ वयासी-इओ विलोइज्जउ / तओ जगडू संमुहंपि रुट्ठो न विलोएइ / तओ पत्तीए वुत्तं 'अप्पणो मयणइट्टिगा सुवण्णिञ्चिगा संजाया' तओ संमुहं जाव विलोएइ ताव सुवण्णिट्टिगा दिट्ठा / तओ अन्नासिं इट्टिगाणं परिक्खा कुणिया सुवण्णिट्टिगा वियाणिया / तओ छन्नं सुवण्णिट्टिगाओ गेहमज्झम्मि आणीयाओ / मयणं पिहं किच्चा विक्किणियं, पंचसयपमाणा सुवण्णिट्टिया संजाया / तओ धम्मपत्ती पियं पइ वएइ-गुरवो आगारिज्जंति, गुरूहिं वुत्ते धम्मम्मि धणं वइज्जइ, धणं सासयं न होइ / तओ गुरुणो सुमहूसवपुव्वं वाहरिया / जगडूसाहुणा मयणववसाओ कओ त्ति सोच्चा गुरवो जगडूगेहम्मि विहरिउं न जंति / तओ गुरवो जगईं वयासि-अम्हे विहरिस्सामो, एयं सुणित्ता जगडूणा खुल्लगमुणिजुया गुरवो देववंदणटुं आगारिया / गुरवो तस्स गेहचेइए देवे वंदेइरे / तया खुल्लगमुणी वएइ-भयवं ! जगडूघरम्मि किं लंका समागया, इओ पेक्खिज्जउ, तओ गुरूहिं सुवण्णिट्टिगाओ दळूणं जगडू पुट्ठो कत्तो इमाओ सुव्वण्णिट्टिगाओ समागयाओ / जगडूणा इट्टिगागहणसव्ववुत्तंतो कहिओ / तओ तं सोच्चा हिट्ठा गुरवो जगडूसाहुणा सद्धिं निय-उवस्सयम्मि समागया / जगडूसाहु आह-मए मयणभंतीए गहियाओ इट्टिगाओ सुवण्णमईओ संजायाओ / रायभयाओ उच्चएणं न जंपिज्जइ / अणेण जगडूगेहम्मि सुवण्णटंकाणं कोडी जाया / 1. स्तैन्त्य- / / 2. शीतकालः / / 3. क्षिप्रा / /