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________________ श्लोकानामकारादिक्रमेण सूचिः .. कथा | पृष्ठ | श्लोकादि 149 पृष्ठ 2 | श्लोकादि कथा | 55 26 147 67 44 106 गंगाए नाविओ नंदो गद्दहमञ्चुकाणंमि गयाणुगइओ लोगो गुरुणो लद्धमाहप्पगेहेसुरा जणा गेहे 74 49 13 133 41 अइचित्तं गहचरियं अउलं विणयस्सेवं अकिञ्चकारगं लोहं अञ्चंतासुहकम्मस्स अज्जबालगदिटुंतं अणासत्तयजोएण अणिग्गहीयजीहाए अणुग्गहीयलोगस्स अन्नाणं खलु कटुं अन्नाणावरिआ लोगा अमंगलमुहस्सेवं. अमंगलमुहो लोगो अवस्सं चिय भोत्तव्वं अवियारिअकज्जस्स अवियारियआएओ घयचम्मकिणंताणं घोरहिंसापसत्ताणं 107 121 चारित्तधम्मसंसत्त जइ वसइ विवेगी जामायर चउक्कस्स जारिसं दिज्जए दाणं जारिसो माणवो होइ जाव दव्वं विइण्णं न जिणदासस्स दिटुंतं उज्जमस्स फलं नञ्चा उज्जमेण हि सिज्झंति तक्काले दुक्खहेउं पि तिव्ववित्तपिवासाए एगोयरा पिहग्गिवा द 41 7 कत्थइ जीवो बलिओ कहं इलाइपुत्तस्स कालो गओ जो धम्ममि किवणा धणिणो केई किविणसेट्ठिणो नायं कुडुंबपरिपोसत्थं दक्खत्त-रूव-विन्नाणदक्खत्तणयं पुरिसस्स दक्खत्ताइगुणग्गामे दव्वं एगारसो पाणो दव्वपासं समुच्छेत्तुं दव्वभत्तिभराओ वि 128 53 141
SR No.004268
Book TitlePaiavinnankaha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKastursuri, Somchandrasuri
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages224
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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