________________ * 358 . . श्री बृहत्संग्रहणीरत्न-हिन्दी भाषांतर . जैन गणितानुसार एक अंगुलके इंच तथा एक योजनके मील कितने होते हैं ? जैन शास्त्रोंमें गणितकी एक स्वतंत्र पद्धति है / इसमें मापके विशिष्ट पारिभाषिक शब्द भी आयोजित हैं। उस पारिभाषिक गणितानुसार अंगुल या योजन आदि मापके इंच, योजन आदि कितने होते हैं इसकी समझ यहाँ दी गई है / यद्यपि योजन किसे कहा जाए ! इसके बारेमें अनेक विसंवाद प्रवर्तित हैं / वर्तमान विश्वमें विदेशी विद्वानों-विज्ञानियोंने पिछले सैकड़ों सालोंसे भौगोलिक तथा खागोलिक पदार्थोकी ऊँचाई-नीचाई की कक्षा निश्चित करनेको समुद्री तल अर्थात सी-लेवल को ध्रुव बनाया। क्योंकि माप निश्चित करनेको कोई भी एक स्थान निश्चित न हो तो गिनती किससे सम्बन्धित करें ? जिस तरह आम तौर पर सी-लेवल निश्चित हुआ है उसी तरह जैन शास्त्रकारोंने अपने त्रैलोक्यवर्ती पदार्थों के मापके लिए (प्रायः शाश्वता) समभूतला शब्दसे परिचित स्थानको ध्रुव मध्यविन्दु निश्चित किया है यह स्थान हमारी इस धरतीके नीचे है, परिचय हेतु इस ग्रन्थके पृष्ठ 100 से 103 देखिये / - इस युगमें अति तीव्र गतिसे आगेकूच करते हुए विज्ञानके मापके साथ अपनी गणनाकी तुलना करनेकी तीव्र जिज्ञासा अभ्यासियोंको होती है अतः अत्यावश्यक सूचि नीचे दी गई है। जैन गणितके हिसाबसे 400 कोस का एक योजन निश्चित हुआ है / वर्तमान गणितकी परिभाषामें इस योजनका विभाजन मीलोंमें करें तो सूक्ष्म गणनाके हिसाबसे 3636.36 मील होते हैं और स्थूल गणना करें तो 3600 मील हों। ज्योतिषचक्र के मापोंको मीलमें परिवर्तित करना हो तो सूक्ष्म गणना के लिए 3636.36 से तथा स्थूलके लिए 3600 से गुननेसे इष्ट संख्या प्राप्त होती है। ज्योतिषचक्रके माप, मीलोंके हिसावसे किस प्रकार हैं इसे प्रथम देखें व्यवहारमें चार कोसका 1 योजन होता है / शास्त्रीय व्यवहारमें 400 कोसका 1 योजन होता है / ऐसे एक योजन की मीलोंके हिसाबसे सूक्ष्म गिनती करें तो 3636.36 मील होते हैं और स्थूल गिनती करें तो 3600 मील होते हैं / ज्योतिषचक्रके मापों के मीलकी सूक्ष्म गिनती 3636.36 से तथा स्थूल गिनती ३६००से गुननेसे इष्ट संख्या उपलब्ध होती है /