________________ * 204 . * श्री बृहत्संग्रहणीरत्न-हिन्दी भाषांतर * जाना, किसी वस्तुका अकस्मात् माथे या शरीर पर पडना, सर्पादिक जहरीले जीवोंके उपद्रव, रेल्वे आदिके अकस्मात् , ऐसे अनेक कारणोंसे जब अकस्मात् मृत्यु हो तब उनमें 'निमित्त' नामका उपक्रम कारण गिनाता है। 3. आहार उपक्रम-देहको जिलानेवाला आहार-खुराक है। खुराककी बाबतमें प्रजामें अब भी बहुत अज्ञान प्रवर्तमान हैं। शरीर-शास्त्र और आहारशास्त्रका आवश्यकअनिवार्य ज्ञान भी न होनेसे प्रजा-लोग भांति-भांतिके रोगोंका भोग बनती रही है। खुराकसे मृत्यु किस तरह होती है ! तो लंबे अरसे तक खुराक न लेनेसे, अति अल्प या अधिक खुराक लेनेसे, शुष्क, अति स्निग्ध या अहितकारी भोजन लेनेसे आयुष्य घट जाता है। लंबे अरसे तक आहार न लेनेसे आयुष्य कम हो जाता है। इसमें एक बात और ध्यानमें रखनी कि यह नियम सबके लिए सर्वथा लागू ही पडे ऐसा न समझना। क्योंकि अपने यहाँ छः छः महीनेसे उपवासी होने पर भी ऐसा कुछ भी बनने नहीं पाता / बहुत कम खुराक लेनेसे शरीर कृश-क्षीण हो जाने से जैसे मृत्यु हो जाती है, वैसे अधिक खुराक लेनेसे भी मृत्यु हो जाती है। इसलिए हमारे यहाँ राजा संप्रतिके अगले ही जन्मका उदाहरण बहुत प्रचलित है। .. खुराकमें पथ्य क्या और अपथ्य क्या? ऋतुकालके आहार क्या ? आरोग्य निभाव के नियम क्या ? इस बाबतका जिसे ज्ञान हो उसे आहार विषयक उपक्रम. ( प्रायः ) हरकत नहीं करते। 4. वेदना उपक्रम-शरीरमें एकाएक भयंकर रोगकी वेदना उत्पन्न होने पर आयुष्यको धक्का लगनेसे आयुष्य भंग हो जाता हैं। इस वेदनामें शूल, धनुर्वा जैसे रोग गिने जा सकते / 5. पराघात उपक्रम-भयंकर अपमान सहन करना पड़ा, किसीने अधिक अनिष्ट किया, अथवा किसी गहरे गड्ढे-खाँईमें गिरनेसे या पर्वत पर से झंपापात होनेसे आघात, पछाड लगी, ऐसे कारणोंसे जो मृत्यु पाए वह / 6. स्पर्श उपक्रम—इसमें जहरीली हवा, विजलीके करंट, भयंकर विषका स्पर्श, जिसका शरीर ही जहरमय हो, स्पर्श मात्रसे ही शरीरके छिद्रों द्वारा जहर प्रवेश करके