________________ •वकागति किस तरह ? और एक, द्विवक्राकी समज. . 187 . सब जीवोंके लिए समश्रेणी गति संभवित मी नहीं है। इसलिए जो जीव उस कर्मवशवर्ती हैं उन्हें तो विश्रेणीसे मी गति करनी पड़ती है, जिसे हमें वक्रागति कहनी है / तब जैसे मोड आया कि गतिमें एक समयका काल ज्यादा जाएगा ही इसीलिए ऊपर कह आएँ कि एकवक्राको एक समय, दो वक्राको दो समय जाएँ आदि / वक्रागति किस तरह बनती है ? ___ ऊर्ध्वलोककी किसी भी दिशामेंसे अधोलोककी उलटी दिशामें, अधोलोककी दिशामेंसे ऊर्ध्वलोककी विरुद्ध दिशामें अथवा विदिशामेंसे दिशामें या दिशामेंसे विदिशामें किसी भी भागमें उत्पन्न होना हो तो मोड होते हैं और इससे वक्रागति बनती है। एकवक्रा किस तरह ? एक जीव ऊर्ध्वलोकमें पूर्वदिशामें मृत हुआ, उत्पन्न होनेका स्थान अधोलोकमें (उलटी) पश्चिम दिशा में है, तो प्रथम पूर्वमेंसे सीधा मृत्यु प्रदेशकी समश्रेणिसे अधोलोकमें उतरे, वह कहां तक उतरे ? तो अधोलोकमें पश्चिमदिशामें जिस श्रेणि प्रदेश पर उत्पन्न होना है वह श्रेणी पूर्वमें जहाँ तक जाती हो वहाँ तक, यहाँ तक तो सीधा आया। अब यहाँ पूर्वमेंसे मोड लेकर, सीधी ही श्रेणीसे पश्चिमदिशामें उत्पत्ति स्थानमें पहुँच जाता है / यहाँ ऊपरसे नीचे पश्चिमदिशाके उत्पत्ति स्थानका अनुसंधान करनेवाली श्रेणी ( अथवा समश्रेणी सतह ) स्थान पर आया उसका एक समय और वहाँसे मोड लेकर उत्पत्ति स्थान पर पहुँचा वह दूसरा समय / इस प्रकार दो समयवाली 'एकविग्रहा' वक्रा बनती है। द्विवक्रा किस तरह ? यह गति तीन समयकी है / एक जीव त्रसनाडी गत ऊर्ध्वलोककी विदिशा-अमि कोनेमें मर गया, उसे उत्पन्न होनेका स्थान अधोलोककी विदिशा-वायव्य कोनेमें है। अतः विदिशामेंसे मृत्यु पाकर विदिशामें ही उत्पन्न होना है। जीव समश्रेणीमें ही गति करनेवाला है। इस सिद्धान्तके अनुसार, अमि कोनेमें जो श्रेणि ऊपर है उसी श्रेणिके प्रदेशोंकी लाइनको स्पर्श करता हुआ सीधा पूर्व दिशामें प्रथम समयमें आ गया। दूसरे समयमें मोड लेकर पूर्वमें से सीधा ही नीचे अधोलोककी पश्चिम दिशामें, अग्नि दिशाके उत्पत्तिस्थानकी जो श्रेणी है उसी श्रेणी पर आया और वहाँसे तीसरे समय मोड-काटकोन, होकर वसनाडीकी ही अमिदिशाके उत्पत्तिस्थानमें पहुँच गया। इस तरह अमिसे पूर्वमें एक समय. पूर्वसे पश्चिममें नीचे उतरने पर एक वक्रा होने पर दूसरा समय हुआ और पश्चिम