________________ 32 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी [ गाथा-३-४ महाविदेहक्षेत्रवर्ती मेरुके समीप आये देवकुरु और ४३उत्तरकुरु-क्षेत्रके युगलिक मनुष्यों के मुंडन किये हुए ४४मस्तकों पर एकसे सात दिन तक उगे हुए "बालापोंसे भरना। प्रवचन सारोद्धार तथा संग्रहणीवृत्तिमें तो मस्तक मुंडानेके बाद एक, दो यावत् उत्कृष्टसे सात दिनके उगे हुए बालाग्र लेना केवल इतना ही कथन हुआ है। अर्थात् अमुक क्षेत्राश्रयी लेनेका सूचन नहीं है। क्षेत्रसमासस्वोपशवृत्तिके अभिप्रायसे देवकुरु-उत्तरकुरुमें उत्पन्न [इन क्षेत्रवर्ती युगलिकोंके बाल सूक्ष्म हैं इसलिए] सात दिवसके 4 मेढेके एक उत्सेधांगुल प्रमाण एक ही रोमके सात बार आठ-आठ खण्ड करें तब 1 उत्सेधांगुल मापके एक बालके सब मिलकर 20,97,152 रोम-खण्ड हों। ऐसे अति सूक्ष्म किये हुए रोम-खंडोंसे इस पल्यको भरना, इत्यादि सांप्रदायिक [ गुरु-परम्पराका ] अर्थ है। इस तरह एक उत्सेधांगुलप्रमाण बालके सात-सात बार आठ-आठ टुकड़े करके, उस पल्यको परिपूर्ण भरनेसे, एक उत्सेधांगुलप्रमाण मोटे पल्यके तलवेके क्षेत्रमें 20,97,152 रोमखंड समा सकते हैं। एक एक अंगुलके किये रोमखंडोंकी राशिको चौबीस अंगुलोंका एक हाथ होनेसे, 24. गुने करें तो एक हाथ जितनी जगहमें 5,03,31,648 [ 5 करोड़, 3 लाख, 31 हजार, 6 सौ और 48 ] रोम खंड समा जाते हैं, पुन: उसे ही चार हाथका धनुष्य होनेसे चारगुने करें तो 20,13,26,592 [ बीस करोड़, 13 लाख, 26 हजार, 5 सौ 92 ] रोमखंड 1 धनुष्य पल्यक्षेत्रमें समाते, हैं, पुनः उसे ही 2000 दंड [ अथवा धनुष्य ] का एक कोस होनेके कारण 2000 गुना करें तब 4,02,65,31, 84,000 [ 4 खर्व, 2 अरब 65 करोड़, 31 लाख 84 हजार ] रोम-राशि 1 कोस जितने पल्यके क्षेत्रमें समा जाती है। चार कोसका एक योजन होनेसे उक्त संख्याको चार गुना करें तब 1,6,10,61,27,36,000 [1 निखर्व, 6 खर्व, 10 अरब, 61 करोड़, 27 लाख, 43. यह अभिप्राय क्षेत्रसमास और जम्बूद्वीप प्रज्ञप्तिकी वृत्तिका है। और जिनभद्रगणि क्षमाश्रमणका भी यही अभिप्राय है। 44. युगलिकोंको मुंडन नहीं होता है लेकिन दृष्टांतके लिये बताया है। 45. बालाग्र अर्थात् बालका अग्र भाग नहीं है किन्तु 'अमुक प्रमाण बाल ' लेना अर्थात् 1 से 7 दिन तकका बढ़ा हुआ बाल वह बालाग्र / 46. विवक्षित 1 रोमके प्रथम बार 8 खंड किये, उसके दूसरी बार हरएक 8 खंडके आठ आठ बार टुकडे किये तब 64, 64 खंडमें प्रत्येक खंडके तीसरी बार आठ-आठ खंड करें तब 512. चौथी बार 4016, पांचवीं बार 32768, छठी बार 262194 और सातवीं बार करें तब 2097152 खंड, 1 उत्सेधांगुल-प्रमाण एक बालके हों।