________________ 30 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी [गाथा 3-4 2 घटिकाओंसे 1 मुहूर्त 30 मुहूर्तका 1 दिवस (अहोरात्र) 15 दिवसका 1 पक्ष (पखवारा) 2 पक्षोंका 3 दिवसोंका 1 मास 2 मासोंसे 1 ऋतु 3 ऋतुओंसे [183 दिवस, वा 6 मास] 1 अयन [6 मास] 2 अयनोंसे [12 मास ] अथवा ४१छह ऋतुओंसे- 1 वर्ष 5 (सौर) वर्षोंसे 1 युग 20 युगोंसे 1 शत वर्ष [100] दस शत वर्षोंसे 1 सहन वर्ष शत सहस्र वर्षांसे 1 लक्ष वर्ष 84 लक्ष वर्षोंसे 1 पूर्वाग 84 लाख पूर्वागसे [70 लाख क्रोड 56 हजार क्रोड़ सूर्य-वर्षोंसे] 1 पूर्व 84 लाख पूर्वसे 1 त्रुटितांग [प्रथम प्रभुका आयुष्य] 84 लाख त्रुटितांगोंसे 1 त्रुटित 84 लाख त्रुटितोंसे 1 अडडांग 84 लाख अडडांगोंसे 1 २अडड 84 लाख अडडोंसे 1 अववांग 84 लाख अववांगोंसे 1 ४अवव 84 लाख अववोंसे १.हूहकांग 84 लाख हूहूकांगोंसे 1 हूहूक 84 लाख हूहूकोंसे 1 उत्पलांग 84 लाख उत्पलांगोंसे 1 उत्पल 84 लाख उत्पलोंसे 1 पद्मांग 84 लाख पद्मांगोंसे 1 पद्म 84 लाख पद्मोंसे 1 नलिनांग 84 लाख नलिनांगोंसे 1 नलिन 84 लाख नलिनोंसे 1 'अर्थनिपूरांग 41. जिसके विषयोंमें कहा है कि-'पाउस वासारत्तो सरओ हेमंत वसंत गिम्हाय / एए खलु छप्पि उऊ, जिणवर-दिट्ठा मए सिट्ठा / / '' 1. अथवा-अटटांग / 2. अट / 3. अयवांग / 4. अयव / 5. अच्छनिकुरांग /