________________ चारक्षेत्रका दूसरा उपाय ] गाथा 86-90 [ 259 चारक्षेत्रका दूसरा उपाय गणितकी अनेक रीतियाँ होनेसे एक ही प्रमाण अलग अलग रीतिसे ला सकते हैं। प्रथम इकसठवें तथा सातवें भागोंके योजन निकालकर चारक्षेत्रका प्रमाण जणाया। अब योजनके सातवें भाग निकालकर चारक्षेत्रका प्रमाण जाननेकी दूसरी रीत बताई जाती है। चन्द्रमण्डलोंका अन्तर 35 यो० 3,4 भाग होनेसे प्रथम उस एक ही अन्तर प्रमाणके सातवें भाग करना, 30 इकसठवें भागोंको सातसे गुना करके चार भाग ऊपरके जोड़नेसे 214 सातवें भाग आए। 35 योजनके इकसठवें भाग बनानेके लिए 35461= 2135 अंश इकसठवें आए, उन अंशोंके 61 वें सातवें (सात) भाग करनेके लिए पुनः सातसे गुना करनेसे 14945 भाग आए, उनमें पूर्वके 214 सातवें भाग जोड़नेसे कुल 15159 इतने सातवें चूर्णिभाग-प्रतिभाग आए / ये एक ही मण्डलांतरके आए। चौदह मण्डलोंके आंतरे निकालनेके लिए२५४ उन 15159 चूर्णिभागोंको चौदहसे गुननेसे कुल 212226 प्रतिभाग आए। 254. उतरती भांजणी (भाग) के अनुसार इस तरह करना___ यो० भाग प्रति० __35 - 30 - 4 एक मण्डल अन्तर 210x 2135 भाग 2135 * + 30 2165 भाग _X 15155 सातवें भाग ____ + 4 ऊपरके जोड़नेसे कुल 15159 सातवें भाग आए। 15159 एक आंतरेके चूर्णि विभाग उसके साथ x 14 मण्डलकी अन्तर संख्यासे गुननेसे 212226 प्रतिभाग एक योजनके 1 + 5880 जोडे 56 भागके मण्डल प्रमाणको 218106 कुल प्रतिभाग आए x 7 भाग 392 उसे x 15 मण्डलसे गुने 5880 प्रतिभाग