________________ रात्रि और दिवसका काल सम्बन्धमें समाधान ] गाथा 86-90 [ 241 . इस तरह दोनों विदेहगत उदयकालके (रात्रिके आरम्भके पहलेके ) जो तीन मुहूर्त वे ही भरत-ऐवत क्षेत्रके अस्तकालके तीन मुहूर्त / भरत-ऐश्वत क्षेत्रके अस्तकालके जो तीन मुहूर्त वे ही पूर्व–पश्चिम विदेह क्षेत्रके उदयकालके कारणरूप होते हैं / इस तरह जब दक्षिण और उत्तर दिशागत (भरत-ऐश्वत ) क्षेत्रों में सूर्य प्रभात कर रहे हों तब प्रभातकालका तीन मुहूर्तकाल बीतने पर भी, पूर्व और पश्चिम दिशागत जो विदेह क्षेत्र, वहाँ जघन्यरात्रिका प्रारम्भ होता है, इस तरह जब भरत-ऐश्वत क्षेत्रमें सूर्यास्त होनेके (दोपहरके पश्चात् ), 3 मुहूर्त शेष रहे हों तब, दोनों विदेहगत क्षेत्रों में प्रभात हुआ हो / इन तीन मुहूर्तोंके बीतनेके बाद तो उक्त दिशाओंमें सूर्य स्वगतिके अनुसार क्रमशः दिवसकी पूर्णाहुति करते रहते हैं / साथ साथ यह भी जतानेकी जरूरत है कि-जब 24 पन्द्रह मुहूर्त दिनमान और . पन्द्रह मुहूर्त रात्रिमान हों अर्थात् दोनों मान समान प्रमाणवाले हों तब तो विदेह क्षेत्रके तीन मुहूर्तोंके सम्बन्धमें कुछ भी विचारणा करनेकी आवश्यकता नहीं रहती / परन्तु ऐसे दिवस वर्ष में दो ही वार आते हैं, जब सूर्य सर्वाभ्यन्तरमण्डलके दूसरे मण्डलसे दक्षिणायनका प्रारम्भ करे (पहले वर्ष गुजराती आषाढ वदि प्रथमाको) तब 2 भाग मुहूर्त न्यून ऐसा 18 मुहूर्तका दिनमान हो और 123 मुहूर्त रात्रिमान हो। अब उस द्वितीय मण्डलसे बढ़कर सूय आगे आगेके मण्डलमें जाता जाए त्यों त्यों दिनमान घटता और रात्रिमान बढ़ता है / इस तरह सूर्य मण्डलकी गतिके अनुसार घट-बढ़ होनेसे जब सूर्य . 91 // वें मण्डलमें आवे, तब वह 184 मण्डलोंके मध्यभागमें आनेसे तीन मुहूर्त दिनमान सर्वाभ्यन्तरमण्डलकी अपेक्षा कम हुआ, जब कि रात्रिमें उतनी वृद्धि हुई ( हमारा उस समय प्रथम वर्ष पर सामान्यतः का० वदि दुज या तीजका दिवस होता है ) तब ऐसा दिवस (अंग्रजीमें जिसे Dolstice) आता है, कि जिस दिनका दिनमान 15 मुहूर्त्तका यथार्थ हो और रात्रिमान भी यथार्थ 15. मुहूर्त्तका ही हो अर्थात् 12 घण्टेका हो। जो दिवस ईसाई सनके अनुसार ता. २१वीं मार्चका गिना जाता है। सर्वाभ्यन्तरमण्डलसे सूर्य ज्यों ज्यों सर्वबाह्यमण्डलों में 246. व्यवहारादि कार्योंमें 60 घडी उपयोगमें ली जाती हैं, वस्तुतः वह भी एक ही है / क्योंकि जब दो घडीका एक मुहूर्त हो, तब 30 मुहूर्त्त प्रमाण अहोरात्रकी 60 घडी यथार्थ आ जाए / इससे '30 घडी दिनमान और 30 घडी रात्रिमान' हो तब-ऐसा भी शब्दप्रयोग होता है वह एक ही है / - घण्टेके हिसाबसे -- 12 घण्टे रात्रिमान हो' तब-ऐसा शब्दप्रयोग भी उपयोग कर सकते हैं / क्योंकि 2 // घडीका घण्टा होनेसे 30 घडी दिनमानसे ठीक 12 घण्टे दिनमानके और 12 घण्टे रात्रिमानके मिलकर 24 घण्टोंका एक अहोरात्र होता है, उसके मुहूर्त 30 होते हैं / वृ. सं. 31 . .