________________ रात्रि और दिवसका काल सम्बन्धमें समाधान ] गाथा 86-90 [ 239 इस महाविदेहमें जहाँ प्रकाशका होना हो वह स्थान उस महाविदेहके मध्यभागकी अपेक्षासे समझना, विदेहकी चौडाईकी जो मध्यभागकी सीमा उसके मध्यभागमें अर्थात् विदेहकी चौडाईका जो २४३मध्यपन उसे ही ग्रहण करनेका है लेकिन लम्बाईकी अपेक्षाका नहीं, जैसे भरतक्षेत्रमें भी दिनमान-रात्रिमान तथा सूर्यका उदय-अस्त, अन्तर, स्थान, प्रमाण आदि सर्वप्रमाणका गिने अर्थात उस उस सूर्यके उदयास्त स्थानको देखने की अपेक्षा भरतक्षेत्रके मध्यभागसे (अयोध्यासे) गिननेकी होती है उसी प्रकारसे विदेहमें भी समझना है। शंका -आपको उपर्युक्त समाधान करनेकी आवश्यकता हुई, उसके बदले हम पूछते हैं कि जब महाविदेहक्षेत्रमें रात्रि हो तब चन्द्रका अस्तित्व क्यों स्वीकार नहीं किया ? क्या सूर्यके प्रकाशाभावसे ही रात्रिकाल होता है और चन्द्रके अस्तित्वके कारण नहीं होता ? समाधान दिवस अथवा रात्रि करने में चन्द्रको किसी भी प्रकारका सम्बन्ध नहीं है, अर्थात् सूर्यमण्डलोंसे होती रात्रि-दिवसकी सिद्धि में चन्द्रमण्डलोंका साहचर्य अथवा प्रयोजन कुछ भी होता नहीं है; क्योंकि चन्द्रमण्डलोंकी अल्प संख्या, मण्डलोंका सविशेष अन्तर, चन्द्रकी मन्दगति, मुहूर्तगति आदिमें सर्वप्रकारसे विपर्यास विचित्र प्रकारसे-विपरीत रीतिसे होता होने के कारण सूर्यमण्डलकी गति के साथ साहचर्य कहाँसे हो ? कि जिससे वह चन्द्र रात्रि या दिवस करने में निमित्तरूप हो ? अतः चन्द्रके उदय और अस्त पर रात्रिके उदय और अस्तका आधार है ऐसा तो है ही नहीं / तथा रात्रिके उदय-अस्त पर चन्द्रके उदय-अस्तका आधार है ऐसा भी नहीं है। . .. यदि चन्द्रके उदय-अस्ताश्रयी रात्रिकालका संभवप नस्वीकृत होता तो भरत आदि क्षेत्रों में शुक्ल पक्ष और कृष्णपक्षमें भी हमेशाके लिए सूर्यास्त होनेके बाद चन्द्रमाका दर्शन अवश्य होता ही, जबकि ऐसा तो बनता ही नहीं, विशेषतः प्रत्येक तिथि पर चन्द्रका दृष्टिगोचर होना सूर्यास्तके बाद अनुक्रमसे विलम्बसे होता जाता है, साथ ही तथ्य रूप सोचे तो हमेशा सारी रात्रि पूर्ण होने तक चन्द्रमाका अस्तित्त्व होना ही चाहिए, तदपि वैसा न होकर यहाँ तो शुक्लपक्षमें अमुक अमुक प्रमाण रात्रिकाल रहनेवाला सूर्योदयके बाद कम-ज्यादा काल भी दृष्टिगोचर होनेवाला और उस उस तिथि पर अमुक अमुक काल रहनेवाला यह चन्द्र होता है, अतः शुक्लपक्षमें चन्द्र आश्रयी रात्रिकाल क्यों न हो ? आदि शंका दूर होती है। __243. अर्थात् महाविदेहगत खड़ी (स्थित) सीता अथवा सीतोदा नदीकी चौडाईका मध्यबिन्दु गिनतीमें ले या विजयोंकी राजधानीका मध्यभाग गिनतीमें ले ? उस स्थानकी स्पष्टता ज्ञात नहीं हुई अतः यथासंभव मध्यभाग विचारें /