________________ 166 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी [ गाथा-८० दिशामें लवणसमुद्रके दो, धातकीखण्डके छः, कालोदधिके 21 और पुष्करार्धके 36 इस तरह कुल 66 सूर्य ( दक्षिणदिशामें ) होते हैं। जब जम्बूद्वीपकी दक्षिणदिशामें एक सूर्य हो तब एक सूर्य उत्तरदिशामें होता है और प्रथम कथनानुसार लवणसमुद्रके 2, धातकीखण्डके 6, कालोदधिके 21 और पुष्करार्धके 36 सूर्य, इस प्रकार कुल मिलाकर 66 सूर्य उत्तरदिशामें समश्रेणिसे यहाँ भी समझना चाहिए / इस तरह उत्तर और दक्षिण दिशाके मिलकर 132 सूर्य होते हैं / और इसी तरह मेरुकी पूर्व-पश्चिम दिशामें 66-66 चन्द्र पंक्तिकी व्यवस्था भी पूर्वोक्त रीतिसे बराबर समझ लें / यहाँ इतना खयाल रखना कि-सूर्य पंक्ति दक्षिणोत्तर दिशामें और चन्द्रपंक्ति पूर्व-पश्चिम दिशामें कही है वह हमेशाके लिए वहीं रहकर प्रकाश करे वैसा न समझे; परन्तु अढाई द्वीपके चन्द्र-सूर्यादि ज्योतिषी विमान चर होनेसे जब पंक्तिगत सूर्य दक्षिणोत्तर दिशामें हों तब पंक्तिगत चन्द्र पूर्व-पश्चिम दिशामें होते हैं और सूर्य घूमते घूमते जब पूर्व दिशामें आते हैं, तब चन्द्र घूमते घूमते दक्षिण दिशामें चले जाते हैं / इस तरह कुल 132 १८चन्द्र और 132 सूर्य रात्रि दिवसके विभाग करनेपूर्वक मनुष्यक्षेत्रमें हमेशा परिभ्रमण करते हैं / इस पंक्तिमें रहे चन्द्र-सूर्य कभी भी क्षणमात्रके लिए भी स्थिर नहीं रहते, सतत परिभ्रमण करते अहोरात्रि रचते हैं; और स्वपंक्तिमेंसे कोई एक भी चन्द्र-सूर्य आगे-पीछे खसकता नहीं है। 66-66 चन्द्र-सूर्योकी दो दो पंक्तियाँ ही इस मनुष्यक्षेत्रमें मेरुकी प्रदक्षिणा करती हैं, तदुपरांत एक चन्द्रका जो 28 नक्षत्र, 88 ग्रह' 87 और 66975 कोडाकोडी तारों जितना परिवार कहा है उसके अनुसार एकसौ बत्तीसों चन्द्रोंका अपना अपना उक्त परिवार भी परिभ्रमण करता है, अर्थात् 3696 नक्षत्र विमान, 11616 18 ग्रह परिवार और 88407000000000000000 कोडाकोडी (ध्रुव तारेके सिवा) 18 तारोंका परिवार 186. बत्तीसं चंदसयं बत्तीसं चेव सूरियाण सयं / सयले माणुसलोए चरन्ति एए पभासेंता // [ सू. प्र.. 187. अट्ठासीतिं च गहा अट्ठावीसं च हुंति नक्खत्ता / एग ससी परिवारो एत्तो ताराण वुच्छामि // 1 // छावट्ठीं सहस्साई णव चेव सयाइ पंच सतराई / एग ससीपरिवारो तारागण कोडिकोडीणं // 2 // [ सू. प्र.] 188. एक्कारस य सहस्सा छप्पिय सोला महग्गहाणं तु / छच्चसया छण्णउया णक्खत्ता तिण्णि य सहस्सा // 1 // 189. अट्ठासीई चत्ताई सयसहस्साई मणुयलोगम्मि / सत्त य सया अणूणा तारागण कोडिकोडीणं // [सू. प्र.]