________________ द्वीप तथा उसका संक्षिप्त स्वरूप ] गाथा-७० [143 गाथार्थ-यहाँ मूलगाथामें द्वीपोंके विशेषनाम मात्रका ही उल्लेख किया है, परन्तु अर्थके लिए यथायोग्य उस नामके साथ क्रमश: 'द्वीप' 'खण्ड' तथा 'वर' शब्द प्रयुक्त करें। / / 70 // - विशेषार्थ-सर्वके बिच-मध्यमें और सर्वसे प्रथम जम्बूद्वीप है। उसका नाम जम्बू कैसे पड़ा ? इस सम्बन्धमें जतानेका कि-सर्वद्वीपसमुद्राभ्यन्तरवर्ती जम्बूद्वीपके मध्यभागमें आए उत्तरकुरुक्षेत्रके पूर्वार्धभागमें जांबूनदसुवर्णकी जम्बूपीठ आई है। उस पीठके ऊपर दो योजनके मूलयुक्त और साधिक अष्ट योजन ऊँचा गया हुआ त्रिकाल शाश्वत् ऐसा 'सुदर्शन' नामका 'जम्बूवृक्ष' है। इस वृक्षके मूल-कन्द-तने-शाखाएँ आदि सर्व अवयव विविध रत्नों के और उनसे भिन्न-भिन्न प्रकारके रंगबिरंगी वर्णमय हैं। इस जम्बूवृक्षके बिचकी जो विडिमाशाखा है उसके ऊपर एक जिनचैत्य आया हुआ है। इसके सिवा अवशिष्ट जो चार शाखाएँ हैं वे वृक्षमें विस्तीर्ण हैं। उनमें पूर्वदिशाकी शाखाके ऊपर 'अनादृत 'देवका भवन होता है, जब कि शेष तीनों दिशाओंकी प्रत्येक शाखाके ऊपर प्रासाद होता है। उनमें इस जम्बूवृक्षकी पूर्वशाखाके मध्यभागमें इस द्वीपके अधिपतिका निवास होनेसे इस द्वीपका 'जम्बू' ऐसा शाश्वत् नाम कथित है। उस अधिपतिके योग्य 500 धनुष विस्तारवाली और 250 धनुष ऊंची मणिपीठिकाके ऊपर व्यन्तरनिकायके १६अनादृतदेवकी शय्या वर्तमान है। इस शय्यामें वर्तित (विद्यमान ) अनेक सामानिकआत्मरक्षक तथा देव-देवियोंके परिवार में विचरता हुआ, पूर्वके पुण्योंसे प्राप्त हुए सुखोंको पुण्यात्मा अनाहत देव भोगते हैं। इस जम्बूवृक्ष जम्बूद्वीपकी वेदिका प्रमाण ऐसी बारह वेदिकाओंसे वेष्टित है। इस वेदिकाके बाद उस वृक्षकी चारों ओर अन्य जम्बू नामके वृक्षोंके तीन ( अथवा किसी मतसे दो) वलय आए हैं। इस तरह जम्बूद्वीपके अधिपतिका स्थान जम्बूवृक्ष६४ के ऊपर होनेसे इस द्वीपका 'जम्बू' नाम सचमुच गुणवाचक है।' कहनेका आशय यह है कि इस प्रकारके देवकुरुक्षेत्रमें 'शाल्मली' नामका वृक्ष भी आया है और उसके ऊपर भी अधिष्ठायक देवका निवास तो है परन्तु वह जम्बूद्वीपका अधिपति देव नहीं है। 2. धातकी खण्ड-धावडीकी जातिके सुन्दर पुष्पसे सदा विकसित बने हुए वृक्षोंके बहुत वनखण्ड होनेसे तथा पूर्व और पश्चिमदिशाके खण्डमें सुदर्शन तथा प्रियदर्शन देवका निवास धातकी नामके वृक्षके ऊपर होनेसे इस द्वीपका ‘धातकीखण्ड' ऐसा नाम सान्वर्थ है। 3. पुष्करद्वीप-इस द्वीपमें तथाप्रकारके अतिविशाल 'पद्म' (पद्म-कमल )के 163. वर्तमानका 'अनादृत 'देव उसे जम्बूस्वामी के काकाका जीव समझें / 164. इसका विशेष स्वरूप 'लोकप्रकाश' सर्ग 17 तथा 'क्षेत्रसमासादि से जानें /