________________ प्रभु ने उसके मस्तक पर वासक्षेप डालकर आशीर्वाद दिया / तत्पश्चात् प्रभु अन्यत्र विहार कर गए / चक्रधर राजा ने शत्रुञ्जय तीर्थ के संघ का आयोजन किया / मंगल मुहूर्त में धूमधाम से संघ ने प्रयाण किया / मार्ग में अनेक व्यक्तियों को कष्टों से मुक्त करते चक्रधर राजा आगे बढ़ रहे थे / मार्ग में जाते हुए उसे कुछ तापस मिले जो कन्दमूल आदि खाकर अपना तापस जीवन व्यतीत कर रहे थे / चक्रधर राजा ने उनको प्रतिबोध देकर सच्चा धर्म समझाया / वे भी संघ में साथ हो गए / ___तत्पश्चात् चक्रधर राजा संघ सहित शत्रुञ्जय तीर्थ पर पहुँचे / तीर्थ की यात्रा की / चक्रधर राजा द्वारा प्रतिबोध पाए हुए तापस अनशन करके शत्रुञ्जय तीर्थ पर मोक्ष में गए / इन्द्र की विनन्ती से चक्रधर राजा ने शत्रुञ्जय तीर्थ का उद्धार कराया / शत्रुञ्जय तीर्थ की यात्रा तथा उद्धार करके जब चक्रधर राजा हस्तिनापुर वापिस आए तब उसे समाचार मिला कि श्री शान्तिनाथ प्रभु का सम्मेतशिखर तीर्थ पर निवार्ण हो गया है / सुनकर राजा तुरन्त सम्मेतशिखर गया और वहाँ प्रभु की स्मृति में मणिमय मन्दिर का निर्माण कराया / ... तत्पश्चात् चक्रधर राजा ने भी संयम स्वीकार किया / दस हजार वर्ष तक चारित्र धर्म का पालन करके केवलज्ञान को प्राप्त किया और अन्त में सम्मेतशिखर तीर्थ पर ही मोक्षपद को पाया / | ग्यारहवाँ उद्धार - श्री रामचन्द्रजी बीसवें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रतस्वामीजी के शासन में श्री रामचन्द्रजी ने शत्रुञ्जय तीर्थ का उद्धार कराया था /