________________ पूज्या साध्वीद्रय का व्यक्तित्व एवं कृर्तृत्व चरम तीर्थपति शासननायक तीर्थंकर श्री महावीरस्वामीजी के इस जिनशासन रूपी गगन में अनेकानेक साधु-साध्वीजी भगवन्त देदीप्यमान नक्षत्र हुए हैं, जिन्होंने सदा ही अपने आचार, विचार एवं ज्ञान रूपी प्रकाश से इस धरा को आलोकित किया है। विश्व के अनेक धर्मों, सम्प्रदायों, संस्कृतियों में जहाँ एक ओर नारी को विकृति का केन्द्र माना है, वहीं दूसरी ओर जैन धर्म में नारी को मोक्ष का अधिकारी मानकर . उसे समाज में शोचनीय से आदरणीय दृष्टि प्रदान की है। जिनशासन में अनेक शासन-प्रभाविकाएँ साध्वीजी हुई हैं। उसी परम्परा में आज भी उसी पथ पर चलकर समाज को दिशा देने वाली साध्वीजी भगवन्तों में विशेष नाम आता है- शान्तिदूत, वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्री नित्यानन्दसूरीश्वरजी म. सा. की सुशिष्याएँ* मातृहृदया, विदुषी साध्वीश्री प्रगुणाश्रीजी म. सा.. * मृदुभाषी, श्रुतानुरागिनी साध्वीश्री प्रियधर्माश्रीजी म. सा. . * प्रसन्न-वदना साध्वीश्री प्रियरत्नाश्रीजी म. सा. . * सेवाभाविनी, तपस्वी साध्वीश्री प्रियसुधाश्रीजी म. सा. साधु-साध्वीजी का जीवन उस पुस्तक की तरह है जिसका प्रत्येक पृष्ठ नई शिक्षा प्रदान करता है। आगम-ग्रन्थों में चार प्रकार के योग बताएँ गए हैं, जिनका समाराधन कर व्यक्ति आत्मकल्याण एवं समाजोद्धार को एक नई दिशा प्रदान करने में सक्षम होता है। ज्ञान-योग, भक्ति-योग, तप-योग एवं कर्म-योग की गंगा में जो निःस्वार्थ भाव से आराधना करता है, वह निश्चित ही पुण्यानुबन्धी पुण्य उपार्जित