________________ एक बार कुछ युवक यात्रा करने के लिए पहाड़ पर जाने लगे तो उनको किसी ने कहा कि आप सभी पहले भोमियाजी का दर्शन करके तथा उनकी आज्ञा लेकर जाओ / एक युवक ने कहा- चलो-चलो अब देरी हो रही है, भोमियाजी की क्या आज्ञा लेनी है उनका दर्शन फिर कर लेंगे / हमको तो परमात्मा का ही तो दर्शन करना है / इस प्रकार तिरस्कार भरे शब्द बोलकर वे पहाड़ पर चढ़ गए / अभी थोड़ा-सा ही पहाड़ ऊपर चढ़े थे कि अचानक मधुमक्खियों का समूह उन पर टूट पड़ा / मधुमक्खियाँ सभी को चारों तरफ से घेर कर जोर-जोर से डंक लगाने लगी, काटने लगी / सभी एक दूसरे का मुँह देखकर परस्पर कहने लगे- अरे ! यहाँ मधुमक्खियाँ कहाँ से आ गई ? देखो-देखो आगे पूरे रास्ते पर मधुमक्खियाँ उड़ रही हैं, अपना रास्ता रोक रही है, लगता है आज हमारी यात्रा नहीं हो सकेगी / एक व्यक्ति ने कहा- भैया ! हमने भी बहुत भारी भूल की है भोमियाजी महाराज की अवज्ञा करके हम आए हैं / आगे यात्रा कैसे होगी ? सभी युवकों का समूह वापिस नीचे उतरा / भोमियाजी का दर्शन वन्दन किया, प्रसाद चढ़ाया और हाथ जोड़कर बोले- हे भोमियाजी महाराज ! हमारी भूल-चूक माफ करो, हमसे बहुत भारी गलती हो गई, कृपया हमें क्षमा कीजिए / तत्पश्चात् वे भोमियाजी को वन्दन करके आज्ञा लेकर पहाड़ के * * ऊपर चढ़े, चलते-चलते जब वे सभी उसी स्थान पर पहुँचे तो देखकर बोले अरे ! यहाँ तो अब एक भी मधुमक्खी नहीं है / सचमुच यह भोमियाजी देव का ही प्रत्यक्ष परचा है / वे आशातना करने वालों को मीठा दण्ड देकर शिक्षा देते हैं / - इस प्रकार एक नहीं अनेकों उदाहरण हैं भोमियाजी के चमत्कारों के | भोमियाजी बाबा वहाँ आने वाले सभी तीर्थ यात्रियों की रक्षा करते हैं उनकी मनोकामना भी पूर्ण करते हैं / तीर्थ के मुख्य मन्दिर के बाहर भोमियाजी महाराज का एक भव्य विशाल 57