________________ की ज्वालाओं ने कुमार की देह को तिरोहित कर दिया / कौन किसको आश्वासन दे यही प्रश्न सभी के सामने था / चन्द्रशेखर कुमार कालधर्म होने के पश्चात् व्यन्तर योनि में देव बने / दो-तीन दिन के बाद शोक निवृत्त होकर यात्री संघ तथा राज परिवार बनारस की ओर चला गया / कुछ दिनों के पश्चात् रात्रि के समय वटवृक्ष के नीचे कुछ लोग बैठे हुए थे अचानक उसी वृक्ष के पास चारों तरफ प्रकाश-प्रकाश फैल गया / उसी प्रकाश के बीच एक दिव्य मुखाकृति मण्डरा रही लोगों को दिखाई दी, जिसे देखकर लोग डर कर भागने लगे / तभी एक आवाज आई.... डरो मत, भागो मत, मैं इसी तीर्थ का सेवक हूँ, तीर्थ की रक्षा के लिए पहरा दे रहा हूँ। दूसरे दिन आजू-बाजू के गाँवों के सैकड़ों लोग वटवृक्ष के नीचे एकत्रित हो गए / किसी ने कहा- यह गाँव के देवता लगते हैं। कोई बोला'- यह क्षेत्र रक्षक भैरव बाबा है / किसी ने कहा- नहीं-नहीं यहाँ भवानी माता का चमत्कार हुआ है / धीरे-धीरे लोग वहाँ पर फल-फूल, तेल, नैवेद्य आदि चढ़ाने लगे / कुछ स्वार्थी लोगों ने कहा- अरे यह तो साक्षात् भवानी माता है, इसे प्रसन्न करने के लिए बलि दो / यदि बलि नहीं चढ़ाई तो यह कुपित होकर भस्म कर देगी / इस प्रकार लोगों में अन्ध श्रद्धा पैदा कर दी गई / कुछ लोगों ने वहाँ पर पशुबलि चढ़ानी चालू कर दी / दूर-दूर से लोग क्षेत्रपाल बाबा मानकर मनौती माँगने लगे / इस प्रकार लोग धन की कामना, सन्तान की कामना, रोग मुक्ति की कामना के लिए वहाँ पर आने लगे / बाबा के नाम पर तेल, सिंदूर चढ़ाते, प्रसाद बाँटते / कभी-कभी कोई अघोरी आकर वहाँ पर पशु बलि भी चढ़ा देता / इस तरह दूर-दूर तक क्षेत्रपाल बाबा के चमत्कार की बातें फैल गई / इस प्रकार वर्षों बीत गए / - अठारहवीं सदी में लगभग दो हजार वर्ष पश्चात् मुर्शीदाबाद (पश्चिम 53