________________ दीक्षा दी / इनकी निश्रा में कुल 1800 साधुओं का परिवार था / ऐसे महान ज्ञानी गुरुदेव के वर्षों बाद पधारने से उज्जैनी के सभी नागरिक खुश थे परन्तु विशेष प्रसन्नता तो माँ जिनप्रिया तथा माणेक की पत्नी आनन्दरति को थी क्योंकि वे सोच रही थीं कि जो काम हम नहीं कर सकीं वे कार्य अब गुरुदेव से हो जाएगा / जो बात दवा से नहीं होती है, वह दुआ से होती है, काबिल जब गुरु मिल जाते हैं, तब बात खुदा से होती है / आचार्यश्री जी के साथ 70 साधु भगवन्त थे | सभी गुरु भगवन्तों का स्वागत एवं प्रवेश उज्जैन निवासियों ने धूम-धाम से कराया / सभी साधु मुनिराज उपाश्रय में पधार गए | धर्म देशना पश्चात् गुरु अपने पाट पर विराजमान हो गए / सभी भक्तजन स्वस्थान पर दर्शन वन्दन करके चले गए। आचार्य भगवन ने विचार किया कि महापुरुषों की रज से पवित्र बनी उज्जैनी नगरी, क्षिप्रा नदी का तट, गन्धर्व श्मशान भूमि, प्रचण्ड गर्मी के दिन ऐसे वातावरण में मुझे कोई साधना करनी चाहिए / बस विचार को आचार की फ्रेम में उतारने के लिए उन्होंने आत्मा की दृढ़ता तथा सहनशीलता को वृद्धिंगत करने के लिए एक मास की विशिष्ट तपश्चर्या प्रारम्भ कर दी / भीष्म तथा उग्रतप के साथ श्मशान भूमि में जाकर कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थिर रहने की साधना जिसमें मुख्य थी / इस प्रकार के ध्यान, तप और साधना में गुरु तल्लीन हो गए / ऐसे भीष्म तप की जानकारी जब लोगों को मिली तो सभी दाँतों तले उंगली दबाने लगे, उज्जैनी नगरी में स्थान-स्थान पर आचार्य गुरुदेव के कठोर तप की अनुमोदना तथा चर्चा होने लगी / माता जिनप्रिया के कानों में आचार्य गुरुदेव के कठोर तपोसाधना की बात पड़ी तो वह मन ही मन भावना करने लगी कि ऐसे घोर तपस्वी पारणे के प्रसंग पर यदि हमारे घर पधारें तो हमारा बेड़ा पार हो जाए | उसने माणेक शा को 27