________________ उपवास के तप में श्रियक की मृत्यु होने पर साध्वी यक्षा को शासन देवी महाविदेह क्षेत्र में श्री सीमंधरस्वामी भगवान के पास ले गई थी / अष्टापद पर्वत पर प्रभु भक्ति में तल्लीन बने हुए त्रिखण्डाधिपति महाराजा रावण को धरणेन्द्र देव ने प्रत्यक्ष दर्शन दिया था / आबू के मन्दिर निर्माण में आ रहे विघ्नों को दूर करने के लिए जब विमलशा मंत्री ने अट्ठम किया था / तब माँ अम्बिका देवी ने विशेष सहायता की थी। गिरनार तीर्थ की मालिकी के विवाद के समय अम्बिका देवी की सहायता से आचार्यश्री बप्पभट्टसूरिजी ने इस तीर्थ को श्वेतांबरों के कब्जे में कराया था / जब-जब मरकी प्लेग आदि रोगों का उपद्रव हुआ, तब-तब प्रभावक गुरु भगवन्तों ने अधिष्ठायक देव-देवियों के सान्निध्य से प्रभावक स्तोत्रों की रचना करके रोगों को दूर किया था / . ऐसे एक नहीं अनेकों प्रसंग हैं कि जब-जब भी चतुर्विध संघ तथा शासन पर कोई भी कष्ट आया तभी सम्यग् दृष्टि देवों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में सभी पर उपकार किया है / प्रस्तुत पुस्तक में सभी का वर्णन न करके केवल मात्र तपागच्छ के अधिष्ठायक देव यक्षाधिराज श्री मणिभद्रदेवजी का वर्णन कर रहे हैं | जिस गच्छ में आज हजारों श्रमण-श्रमणियाँ आराधना कर रहे हैं / जैन धर्म के प्रत्येक मन्दिर तथा उपाश्रय में वर्तमान काल में श्री मणिभद्रदेवजी विराजमान हैं | उनका पूर्व जीवन कैसा था वे कैसे मणिभद्र वीर बने तथा कैसे तपागच्छ के अधिष्ठायक बने उनका सम्पूर्ण जीवन इस प्रकार है / इसी भरत क्षेत्र के मध्यप्रदेश में क्षिप्रानदी के किनारे उज्जैनी नाम की नगरी है जो कि धार्मिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध है / भगवान महावीर के शासन में हुए अतिमुक्तक मुनि ने यहाँ पर श्मशान में जाकर तपस्या की थी। 18