________________ के कारण कोई न कोई दोष ही लग जाता है गौचरी लिए बिना ही वापस आना पड़ता है / 3. भोगान्तराय कर्म- जिस वस्तु को एक ही बार भोगा जाए उसे भोग कहा जाता है जैसे आहार, फूल, दूध, घी आदि / जीव के पास आहारादि भोग्य वस्तु प्रचुर मात्रा में हो, स्वयं उस का त्यागी भी न हो तो भोगान्तराय के उदय से वस्तु को भोग नहीं सकता / जैसे- मम्मण सेठ / डायबिटीज होने पर, मीठी वस्तु स्वयं बनाई हो खाने में स्वतन्त्र भी है तो भी खा नहीं सकते / बीमार होने पर डॉक्टर केवल (तरल पदार्थ) खाने को कहता है / भूख होने पर खा नहीं सकता / हार्ट अटैक के दर्दी को दूध, घी वाले पदार्थ अनिच्छा से भी छोड़ने पड़ते हैं / यह सभी किस कर्म के कारण ? भोगान्तराय कर्म का ही प्रभाव है। 4. उपभोगान्तराय कर्म- जो वस्तु बारम्बार भोगी जा सके उसे उपभोग कहते हैं / जैसे वस्त्र, अलंकार, पैसा, मकान आदि वस्तुएँ उपभोग की सभी वस्तुएँ पास में हों, उपयोग करने की इच्छा भी हो तो भी उपभोग न कर सके तो उपभोग अन्तराय कर्म का उदय समझना चाहिए / जैसे- विधवा स्त्री अच्छे कपड़े आभूषण पहनने की क्षमता होने पर भी, वस्तु पास में होने पर भी उसका उपभोग न कर सके तो उपभोगान्तराय कर्म का उदय समझें / 5. वीर्यान्तराय कर्म- वीर्य का अर्थ- शक्ति, बल, उत्साह, पराक्रम आदि / जीव को किसी भी कार्य के लिए उत्साह पैदा नहीं होता तो वीर्यान्तराय ही कारण है / कई बार शक्ति भी हो, इच्छा भी हो तो भी उपयोग न कर सकें उसमें यही कर्म कारण है / जैसे- पयूषण पर्व में अट्ठाई करने की भावना हो, शरीर में शक्ति भी 216