________________ ज्ञानी महापुरुष कहते हैं कि दुनिया में सभी भोग सामग्री हमें मिल जाए और हम सुखी हो जाएँगे ऐसा मत समझना सब कुछ मिल जाने पर भी यदि मन में शान्ति नहीं है, परिवार में परस्पर प्रेम नहीं है, दिन की भूख नहीं, रात की नींद नहीं है तो ऐसे पैसे को क्या करना ? सम्पत्ति कम होगी तो चलेगा परन्तु जीवन में आनन्द चाहिये, शान्ति चाहिये, परिवार में सम्प और प्रेम चाहिये यह सब होगा तो काया भी निरोगी रहेगी और जीवन भी सुख, शान्ति और आनन्दपूर्वक व्यतीत होगा / शास्त्रकार महाराजा कहते हैं कि सम्पत्ति का सदुपयोग करने वाले को दुनिया सदा याद करती है / आज धरणा शा, वस्तुपाल-तेजपाल दुनिया में नहीं हैं परन्तु राणकपुर और आबू का मन्दिर आज भी उनकी याद दिलाता है / ____ धरणा शा सेठ ने मात्र बत्तीस (32) वर्ष की युवावस्था में 99 करोड़ सोना मोहरें खर्च करके नलिनीगुल्म विमान जैसा सुन्दर भव्यातिभव्य जिनालय का राजस्थान की धरती राणकपुर में निर्माण कराया जो 588 वर्ष के व्यतीत हो जाने पर आज भी मौजूद है / भर युवानी की अवस्था में 99 करोड़ सौनेया का सदुपयोग करने वाले इस युवक का अपनी इन्द्रियों पर कितना कन्ट्रोल होगा ? जीवन में कितना संयम पाला होगा / आज भी वह मन्दिर जिसकी यशोगाथा गा रहा है। ... वस्तुपाल-तेजपाल ने अपनी जिन्दगी में कैसे दुःख के दिन देखे थे / अन्न और दाँत का वैर हो गया था / छोटे भाई की दवाई करने के भी पैसे उनके पास नहीं थे / दवाई के अभाव में उनका भाई लूणिग दुनिया से विदा हो गया था / 'सब दिन होत न समान' इस उक्ति को हृदय में धारण करके शुभ संकल्प के बल से तथा पुण्योदय से घर में दैवी सम्पत्ति और समृद्धि का आगमन होने लगा | विलास में चकचूर न होकर उन्होंने अपनी सम्पत्ति को धर्म मार्ग पर लगाना चालू किया / अपने लघु बन्धु लूणिग की याद में तथा उसकी भावना की पूर्ति हेतु उस समय 12 करोड़ 53 लाख रुपये खर्च करके देलवाड़ा आबू में भव्य जिनालय का सर्जन कराया था / आज नए बन रहे सभी जैन- अजैन जिनालयों 141