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________________ समाप्त हो जाते हैं / संस्कारी, खानदानी, धर्मी, सरल, भ. परिणामी, पुण्यशाली, तेजस्वी मानव ही सम्पत्ति को पचा सकते हैं / प्रायः देखा जाता है कि पैसा आने से व्यक्ति जमीन से चार अंगुल ऊँचा चलने लगता है अर्थात् उसके पाँव जमीन पर नहीं ठहरते / उसके जीवन में से दया, करुणा की भावना नष्ट हो जाती है, उसकी वाणी बदल जाती है, उसकी भाषा कर्कश और कठोर बन जाती है / दुनिया के सभी भोग भोगने की तृष्णा उत्पन्न हो जाती है / उसकी सम्पत्ति का सदुपयोग होने के बदले दुरुपयोग चालू हो जाता है / कंजूस का धन जमीन में पड़ा रहता है, वेश्या का धन सौन्दर्य प्रसाधनों में नष्ट होता है, व्यसनी का धन शराब, जुगार आदि में खर्च होता है, व्यापारी का फिजूल खर्ची में जाता है, विलासी का धन क्लबों में इधर-उधर घूमने में जाता है / पुण्योदय से प्राप्त सम्पत्ति क्लबों में, डान्स पार्टियों में, ब्यूटी पार्लरों में, फ्लेट फर्नीचर, फोन, गाड़ी आदि में व्यय होती है / ऐसे लोगों के पास सम्पत्ति टिकती ही नहीं है / क्योंकि उनके पास लक्ष्मी कमाने की कला जरूर है परन्तु टिकाने की नहीं है / पुण्यशाली व्यक्तियों की सम्पत्ति ही पुण्य के कार्यों में लगती है। .. पुण्यानुबन्धी पुण्यवान आत्माओं के पास जैसे-जैसे सम्पत्ति, वैभव, ऋद्धि, सिद्धि बढ़ती जाती है वैसे-वैसे उनमें नम्रता, उदासीनता, विरागता भी बढ़ती जाती है / देवलोक में देखिये- प्रथम देवलोक से ऊपर दूसरे-तीसरे यावत् बारखें देवलोक तक जैसे-जैसे समद्धि बढ़ती जाती है वैसे-वैसे अन्तर गुण वैभव भी बढ़ता जाता है, विराग भाव भी बढ़ता जाता है | नवग्रैवेयक के बाद पाँच अणुत्तर विमानों में रहने वाले देवात्माओं की समृद्धि तो विश्व में उच्च कक्षा की होती है / उनकी शैय्या के ऊपर लटकते हुए झूमर के सेन्टर (मध्य) के पीस के मणिरत्न का वजन चौंसठ मण का होता है / ऐसी समृद्धि के बीच भी वे अनासक्त योगी के समान वे देवात्मा प्रायः उच्च कक्षा की वीतराग अवस्था को भोगते हैं / (यह है ऊपरी कक्षा के देवलोक के देवों की स्थिति) मध्य लोक में भी खानदानी - संस्कारी श्रीमन्त कुटुम्बों के लोग भी शान्त, 139
SR No.004266
Book TitleItihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPragunashreeji, Priyadharmashreeji
PublisherPragunashreeji Priyadharmashreeji
Publication Year2014
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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