________________ दिवारों पर जो उस दुष्ट ने लेप कर रखा है वह सारा शत्रुञ्जय नदी के जल से गाय के दूध से साफ कराया / संघपति दम्पत्ति ने वर्णभ्रष्ट पुरानी लेप्यमयी प्रतिमा को जैसे ही उठाया कि दुष्ट पुराने कपर्दी यक्ष ने भयंकर, रौद्र आवाज की जिससे सारा गिरिराज काँपने लगा, तत्पश्चात् उसने अपना भयानक स्वरूप दिखाया जिससे सारे यात्री इधर-उधर भाग-दौड़ करने लगे | उस समय आचार्य वजस्वामीजी ने अपनी सम्पूर्ण मन्त्र शक्ति से चावलों को मन्त्रित करके चारों तरफ फेंक दिया / जिससे सभी मलीन तत्व दुष्ट देवता स्तम्भित हो गए और कपर्दी दुष्ट यक्ष भी ढीला, शक्ति रहित हो गया / उसी समय नूतन कपर्दी यक्ष ने आकर अचेतन अवस्था में पड़े पुराने कपर्दी को थप्पड़ मारकर भूमि पर गिरा दिया / प्रतिष्ठा का समय निकट होने से नूतन कपर्दी ने अपनी सेना की सहायता लेकर मलीन तत्वों को दूर भगाया और पुराने दुष्ट कपर्दी को जोरदार भयंकर आवाज करके खड़ा किया तथा भगाने लगा / स्वयं वज लेकर उसके पीछे-पीछे भागने लगा / इस प्रकार सभी की शक्तियों से सभी मलीन देवता तथा दुष्ट मिथ्यात्वी कपर्दी भी पहाड़ छोड़कर भाग गया / . तत्पश्चात् प्रतिष्ठा महोत्सव प्रारम्भ हुआ / जावड़शा और उसकी पत्नी ने जो परमात्मा का बिम्ब अपने साथ लेकर आए थे उसे उठाया और पुरानी प्रतिमा के स्थान पर उसे मन्त्र विधि से स्थापित किया / शुभ मुहूर्त में नए जिनबिम्ब की वहाँ पर प्रतिष्ठा की गई / सर्वत्र जय-जय श्री आदिनाथ का जयघोष होने लगा / सूरिजी ने मन्त्रित वासक्षेप से मन्त्रक्षेप किया / जिनबिम्ब की प्रतिष्ठा विधि होने पर जावड़ शा के हर्ष का पार नहीं था / शुभ मुहूर्त में दादा गादीनशीन हुए / ___इस प्रतिष्ठा महोत्सव में जावड़ ने दस (10) लाख द्रव्य का खर्च किया / प्रतिष्ठा सम्पन्न होने पर ध्वजा चढ़ाने के लिए दोनों पति-पत्नी शिखर पर चढ़े / हर्षोल्लास से ध्वजा चढ़ाने के पश्चात् दोनों वहाँ पर ही नाचने लगे और अन्तर में भावना भाने लगे कि हे प्रभु ! बाहुबली द्वारा पूजित आज परमात्मा की प्रतिमा की प्रतिष्ठा कराने का तीर्थ का उद्धार करने का मुझे सौभाग्य मिला अब हे प्रभु ! अब सर्व विरति धर्म मुझे शीघ्र ही प्राप्त हो / हे आदिश्वर दादा ! यह 91