________________ wwwwwwwww मुनि निरंजनविजयसंयोजित गन्धर्वसेन राजा... इसी तरह क्रमसे 'गन्धर्वसेन' (गर्दभिल्ल) राजा हुए जो पुत्रवत् प्रजा का पालन करते हुए राज्यधुराको वहन कर रहे थे। राजा गन्धर्वसेन के भर्तृहरि तथा विक्रमादित्य + नामके दो पुत्र हुए। अवन्तीपति गन्धर्वसेनने पराक्रमी राजा भीम की रूपलावण्यवती अनङ्गसेना नाम की पुत्री के साथ राजकुमार भर्तृहरि का बड़े उत्सव से लग्न कराया और निकटवर्ती द्वेषी राजाओं को अपने पराक्रमसे और दोनों राज कुमारों तथा सैन्य की मदद से अपने आधीन किये, अर्थात् अनेक देशोंपर अपना राज्य फैलाया। सन्मार्गेण सदा न्यायी, पालयन् सकलाः प्रजाः। स्मारयामास सर्वेषां, रामराज्यस्थितिं जने // 38 // अर्थात् निरन्तर उत्तम मार्ग से समस्त प्रजाओं का पालन करते हुए न्यायी राजाने लोगों को रामराज्य की स्थिति का स्मरण कराया। राजा की मृत्यु व भतृहरिका अभिषेक___इस प्रकार न्याय--नीति से राज्य पालन करते हुए वर्षों बीत गये। अकस्मात् किसी रोगसे राजाकी मृत्यु हो गयी। राजाकी अकाल मृत्यु से युवराज भर्तृहरि आदि को अत्यन्त दुःख हुआ / मृत्यु के पश्चात् मन्त्रिवर्ग आदिने मिलकर राजाकी दहन-क्रिया समाप्त कर सदुपदेश से पितृमरण जन्य शोक निवारण करवाया। + अन्य भतसे गर्दभिल्ल राजाके ये दीनों पुत्र थे। + अन्य Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org