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________________ . . 95 विप्रकी पुत्री मनोरमा तृतीय सर्ग पृ.११६ से 157 99 शुकी तथा शालिवाहन की तेरहवा. प्रकरण पृ. 116 से 125 पुत्री विक्रमाकी विदा विक्रम का अवन्ती आना तथा बारहवाँ प्रकरण पृ. 101 से 115 कलावती से लग्न 116 लग्न 101 116 विक्रम का अवन्ती आना 101 लग्न तथा कलावती से लग्न 101 विक्रमादित्य का विद्याधर का 117 भट्टमात्र का अवन्ती गमन / स्वांग 117 विक्रम का दिव्य भोजन 103 चैत्यमें नृत्य 119 सुकोमला का गर्भवती होना 104 शालिवाहन का राजसभामें | 120 विक्रमादित्य का अवन्ती नृत्य करने का आग्रह गमन 106 विद्याधर का नारीद्वेष .. 120 अवन्ती के चोर का वर्णन 106 राजसभामें नृत्य तथा नारी | 122 कौवी की युक्ति द्वेष के कारण का कथन | 123. विक्रमादित्य का स्वप्न 108 विक्रम के पूर्व सात भव 124 सर्प के मुख से कन्या का 112 राजकुमारी सुकोमला का छुड़ाना लग्न करने का आग्रह 125 कलावती से लग्न 113 राजा का विक्रमादित्य को चौदहवा प्रकरण पृ. 126 से 141 समझाना खप्पर चोर 126 114 सुकोमला व विक्रम का 126 खप्पर चोर लग्न द्वितीय सर्ग समाप्त 126 कलावती हरण | 126 कलावती की खोजा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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